CBI ने अनिल अंबानी से जुड़े ठिकानों पर मारे छापे, ₹2,000 करोड़ से अधिक के घोटाले से जुड़ा है मामला

0
9
Anil-Ambani
Anil Ambani

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने शनिवार को रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) और इसके प्रमोटर डायरेक्टर अनिल अंबानी से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को ₹2,000 करोड़ से अधिक के कथित बैंक धोखाधड़ी मामले में की गई।

मुंबई में आरकॉम और अनिल अंबानी से जुड़े छह स्थानों पर तलाशी ली गई। सूत्रों के अनुसार, इन छापों का उद्देश्य अहम दस्तावेज़ और डिजिटल सबूत जुटाना है, जिससे यह स्थापित किया जा सके कि बैंक फंड का दुरुपयोग कैसे हुआ और क्या ऋण को कहीं और मोड़ा गया। एजेंसी ने आरकॉम के खिलाफ SBI को ₹2,000 करोड़ से अधिक का नुकसान पहुँचाने का मामला भी दर्ज किया है।

SBI ने 13 जून को आरकॉम और अनिल अंबानी को “फ्रॉड” घोषित कर दिया था और 24 जून को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को रिपोर्ट भेजी थी। RBI दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी खाते को धोखाधड़ी घोषित करने के बाद बैंक को 21 दिनों के भीतर RBI को सूचित करना होता है और मामला CBI या पुलिस को भेजना होता है।

SBI ने आरकॉम को भेजे पत्र में कहा कि उसने ऋण उपयोग में गंभीर गड़बड़ियां पाई हैं, जिनमें कई समूह इकाइयों के बीच फंड मूवमेंट का जटिल जाल शामिल है।

बैंक ने कहा: “हमने आपके शो कॉज नोटिस के जवाब पर विचार किया, लेकिन पर्याप्त कारण नहीं मिले। ऋण दस्तावेज़ों की शर्तों के पालन न होने और खाते में अनियमितताओं को लेकर दी गई दलीलें बैंक की संतुष्टि के लिए पर्याप्त नहीं हैं।”

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने पिछले महीने लोकसभा को बताया था कि SBI का आरकॉम में क्रेडिट एक्सपोज़र ₹2,227.64 करोड़ (फंड-बेस्ड प्रिंसिपल बकाया) और ₹786.52 करोड़ (नॉन-फंड-बेस्ड बैंक गारंटी) है।

ये छापेमारी उस समय हुई जब कुछ हफ्ते पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल अंबानी से मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूछताछ की थी। यह मामला उनकी समूह कंपनियों से जुड़े कथित बैंक लोन फ्रॉड से जुड़ा है।

प्रारंभिक जांच में सामने आया कि यस बैंक से 2017 और 2019 के बीच वितरित ₹3,000 करोड़ के लोन गलत तरीके से डायवर्ट किए गए। अधिकारियों ने बताया कि इसी तरह का एक और धोखाधड़ी मामला ₹14,000 करोड़ से अधिक का आरकॉम से जुड़ा हुआ है।

एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया है कि इसमें एक गैरकानूनी क्विड प्रो क्वो (quid pro quo) व्यवस्था शामिल थी, जिसमें यस बैंक के प्रमोटरों को लोन स्वीकृति से ठीक पहले निजी कंपनियों में भुगतान मिला।