नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) एक बार फिर सुर्खियों में है, क्योंकि दिल्ली विधानसभा में उसकी 14 लंबित रिपोर्ट्स पेश की जा रही हैं। इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। सदन में हंगामे के चलते कई AAP विधायकों को निलंबित भी कर दिया गया है। इन रिपोर्ट्स में AAP सरकार के कार्यकाल के दौरान विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं में कथित गड़बड़ियों का खुलासा होने की संभावना है, जिससे राजनीतिक माहौल गरमा सकता है। आइए जानते हैं कि ये रिपोर्ट्स किन मुद्दों से जुड़ी हैं और क्यों इन पर इतना विवाद हो रहा है।
CAG की 14 रिपोर्ट्स से जुड़े अहम बिंदु
CAG की ये 14 रिपोर्ट्स आम आदमी पार्टी सरकार के 2017 से 2022 तक के कार्यकाल की वित्तीय और प्रशासनिक गतिविधियों की जांच से संबंधित हैं। इन्हें दिल्ली विधानसभा में पेश करने का फैसला नई बीजेपी सरकार ने किया है। इन रिपोर्ट्स में चार दिल्ली सरकार के नियंत्रक लेखा द्वारा तैयार किए गए वित्तीय और विनियोग खाते (2021-22 और 2022-23) से जुड़ी हैं, जबकि बाकी 10 रिपोर्ट्स CAG द्वारा की गई ऑडिट से संबंधित हैं।
ये 14 रिपोर्ट्स किन क्षेत्रों से जुड़ी हैं?
- राज्य वित्त ऑडिट रिपोर्ट: दिल्ली सरकार की आय, व्यय और राजस्व स्थिति की जांच।
- वाहन प्रदूषण ऑडिट रिपोर्ट: दिल्ली में वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए खर्च किए गए धन की समीक्षा।
- शराब नीति ऑडिट: रद्द की जा चुकी शराब नीति से 2,026 करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान की जांच और लाइसेंस आवंटन में कथित अनियमितताओं का खुलासा।
- मुख्यमंत्री आवास नवीकरण रिपोर्ट: पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर 33.66 करोड़ रुपये के खर्च की समीक्षा, जो मूल बजट (7.61 करोड़) से 342% अधिक था।
- स्वास्थ्य सेवाएं रिपोर्ट: मोहल्ला क्लीनिक और अन्य सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं में फंड के उपयोग की ऑडिट।
- दिल्ली परिवहन निगम (DTC) ऑडिट: बस खरीद, परिचालन दक्षता और वित्तीय घाटे (29,143 करोड़ रुपये तक) की समीक्षा।
- वित्तीय और विनियोग खाते: बजट के उपयोग की वैधता और पारदर्शिता की जांच।
- शिक्षा विभाग ऑडिट: सरकारी स्कूलों की स्थिति, शिक्षक भर्ती और शिक्षा बजट के उपयोग की समीक्षा।
- सामाजिक योजनाओं का ऑडिट: मुफ्त बिजली-पानी सब्सिडी और अन्य कल्याणकारी योजनाओं की प्रभावशीलता की जांच।
- आर्थिक परियोजनाओं की रिपोर्ट: सड़क, पुल और बुनियादी ढांचा विकास में खर्च किए गए धन की समीक्षा।
- सरकारी उपक्रमों का ऑडिट: दिल्ली सरकार की कंपनियों और संस्थाओं के वित्तीय प्रदर्शन की समीक्षा।
- प्रशासनिक खर्चों का विश्लेषण: सरकारी विभागों के रोजमर्रा के खर्चों और कार्यशैली की समीक्षा।
- पर्यावरण संबंधित प्रदर्शन ऑडिट: प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाए गए कदमों की जांच।
- अन्य सरकारी योजनाओं की समीक्षा: कचरा प्रबंधन और अन्य नीतिगत निर्णयों की ऑडिट।
CAG रिपोर्ट्स क्यों अहम हैं?
CAG की रिपोर्ट्स सरकारी खर्च की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करती हैं। इन्हें विधानसभा में पेश करना आवश्यक होता है ताकि इन पर चर्चा हो सके। इस बार विधानसभा में इन रिपोर्ट्स के आने से AAP सरकार की नीतियों और वित्तीय फैसलों पर सवाल उठ सकते हैं। खासकर शराब नीति और मुख्यमंत्री आवास नवीकरण जैसे मुद्दों पर विपक्ष हमलावर हो सकता है। बीजेपी इसे AAP सरकार की कथित अनियमितताओं का सबूत बता रही है, जबकि AAP का कहना है कि यह एक राजनीतिक हमला है।
CAG क्या है और इसका काम क्या है?
CAG (Comptroller and Auditor General of India) भारत की संवैधानिक संस्था है, जिसकी स्थापना संविधान के अनुच्छेद 148 के तहत हुई थी। इसका मुख्य कार्य केंद्र और राज्य सरकारों के वित्तीय लेन-देन की जांच करना है। यह सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों और स्वायत्त संस्थाओं की ऑडिट भी करता है। इसे “सार्वजनिक धन का संरक्षक” भी कहा जाता है।
CAG की नियुक्ति और कार्यकाल
CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और इसका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक (जो पहले हो) होता है। इसे हटाने की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के जज के समान होती है, जिससे इसकी स्वतंत्रता बनी रहती है। वर्तमान में संजय मूर्ति इस पद पर हैं, जिन्होंने 21 नवंबर 2024 को कार्यभार संभाला था।
CAG की रिपोर्ट्स से जुड़े बड़े राजनीतिक विवाद
CAG की रिपोर्ट्स अतीत में भी बड़े घोटालों को उजागर कर चुकी हैं।
2G स्पेक्ट्रम घोटाला (2010):
CAG रिपोर्ट में 1.76 लाख करोड़ रुपये के संभावित नुकसान का दावा।
विपक्ष के हंगामे के बाद तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा को इस्तीफा देना पड़ा और उनकी गिरफ्तारी हुई।
2014 के चुनाव में बीजेपी ने इसे भ्रष्टाचार के मुद्दे के रूप में भुनाया।
कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला (2012):
CAG ने 1.86 लाख करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया।
बीजेपी ने इसे “कोलगेट” नाम दिया और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को घेरा।
सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में 204 कोयला ब्लॉक आवंटन रद्द कर दिए।
कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला (2011):
आयोजन में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों और अनुचित ठेकों का खुलासा।
बीजेपी ने यूपीए सरकार और दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार पर हमला बोला।
आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी की गिरफ्तारी हुई।
दिल्ली में सियासी माहौल गरमाने की संभावना
CAG की रिपोर्ट्स पेश होने के बाद दिल्ली विधानसभा में सियासी घमासान बढ़ सकता है। बीजेपी इसे AAP सरकार की कथित अनियमितताओं का खुलासा मान रही है, जबकि AAP इसे राजनीतिक साजिश बता रही है। अब देखना यह होगा कि इन रिपोर्ट्स को लेकर विधानसभा में क्या नई रणनीतियां अपनाई जाती हैं और इसका दिल्ली की राजनीति पर क्या असर पड़ता है।