BJP को चाहिए नया अध्यक्ष, वहीं धनखड़ ने दे दिया इस्तीफा – क्या कोई बड़ा सियासी फेरबदल होने वाला है?

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धनखड़ ने दे दिया इस्तीफा – क्या कोई बड़ा सियासी फेरबदल होने वाला है?
धनखड़ ने दे दिया इस्तीफा – क्या कोई बड़ा सियासी फेरबदल होने वाला है?

मॉनसून सत्र की शुरुआत में सोमवार देर रात एक अप्रत्याशित घटनाक्रम हुआ – उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इसके पीछे स्वास्थ्य संबंधी कारणों का हवाला दिया है। लेकिन उनके इस कदम ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। ऐसे समय में जब भारतीय जनता पार्टी नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की तलाश में है, उपराष्ट्रपति का यह इस्तीफा किसी बड़े राजनीतिक फेरबदल की आहट देता दिख रहा है।

गौर करने वाली बात यह है कि भाजपा के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2023 में समाप्त हो चुका था, जिसे 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए बढ़ाया गया था। अब जबकि आम चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं, पार्टी में नेतृत्व परिवर्तन की संभावना प्रबल हो गई है। नड्डा कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं, लेकिन संगठन में एक स्थायी अध्यक्ष की आवश्यकता महसूस की जा रही है। ऐसे में पार्टी के सामने दो महत्वपूर्ण कार्य हैं – एक ओर नए अध्यक्ष की नियुक्ति, तो दूसरी ओर नए उपराष्ट्रपति के लिए उम्मीदवार का चयन।

BJP किन मापदंडों पर चुनेगी नया उपराष्ट्रपति?

भाजपा ऐसे व्यक्ति की तलाश में है जो केवल संवैधानिक दायित्व निभाने में सक्षम न हो, बल्कि पार्टी के राजनीतिक भविष्य को भी दिशा देने की क्षमता रखता हो। पार्टी की रणनीति 2029 के आम चुनाव तक को ध्यान में रखकर तैयार की जा रही है। ऐसे में उपराष्ट्रपति पद के लिए एक अनुभवी, प्रभावशाली और दूरदर्शी चेहरे की तलाश की जा रही है, जो पार्टी की विचारधारा को मजबूती से आगे बढ़ा सके।

उपराष्ट्रपति पद के चुनाव की प्रक्रिया क्या कहती है?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 68(2) के अनुसार, यदि उपराष्ट्रपति का पद किसी भी कारण से रिक्त हो जाता है – चाहे वह मृत्यु, इस्तीफा या अपदस्थ किए जाने के कारण हो – तो इस रिक्ति को जल्द से जल्द भरना आवश्यक होता है। ऐसे में अब चुनाव आयोग को नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ करनी होगी।

यह उल्लेखनीय है कि उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है। लेकिन जब तक नए उपराष्ट्रपति द्वारा शपथ ग्रहण नहीं किया जाता, तब तक वर्तमान उपराष्ट्रपति पद पर बने रह सकते हैं। यह पद देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद होता है और इसके अंतर्गत राज्यसभा के सभापति की भूमिका भी शामिल होती है।

कौन बन सकता है उपराष्ट्रपति?

उपराष्ट्रपति बनने के लिए कुछ स्पष्ट संवैधानिक योग्यताएं निर्धारित हैं। सबसे पहले, उम्मीदवार भारत का नागरिक होना चाहिए। उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए। उसे राज्यसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित होने के योग्य माना जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, वह कोई ऐसा लाभ का पद न रखता हो जो भारत सरकार, राज्य सरकार या किसी अधीनस्थ सरकारी निकाय के अधीन आता हो।

अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि भाजपा इन दोनों अहम पदों – पार्टी अध्यक्ष और उपराष्ट्रपति – के लिए किन नामों को आगे लाती है। ये फैसले आने वाले समय में भारतीय राजनीति की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।