केंद्रीय श्रमिक संगठनों द्वारा आज राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आयोजन किया गया है, वहीं बिहार में विपक्षी इंडिया गठबंधन ने चक्का जाम का ऐलान किया है। ट्रेड यूनियनें लगभग 25 करोड़ श्रमिकों के समर्थन का दावा कर रही हैं। इस हड़ताल के चलते देशभर में बैंक, बीमा कार्यालय और कोयला खदानों सहित कई प्रमुख संस्थानों के कामकाज पर असर पड़ने की आशंका है। वहीं, बिहार में यह बंद विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण के खिलाफ विपक्ष की नाराजगी के रूप में सामने आया है। राज्य के अलग-अलग हिस्सों से सड़क जाम, टायर जलाने और ट्रेनों को रोकने की खबरें सामने आई हैं, जिससे सामान्य जनजीवन प्रभावित हो रहा है।
बिहार में सुबह से ही बंद का असर
बिहार में यह आंदोलन सुबह 6 बजे से ही तेज हो गया। जेडीयू नेता राजीव रंजन ने कहा कि निर्वाचन आयोग का मतदाता पुनरीक्षण अभियान सही दिशा में आगे बढ़ रहा है और विपक्ष को अब अपनी जमीन खिसकती दिख रही है। उनका आरोप है कि विपक्ष अब चुनाव आयोग के फैसलों पर नाराजगी जताकर जनता को भ्रमित कर रहा है।
पप्पू यादव भी विरोध में उतरे
पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ सचिवालय हॉल्ट स्टेशन पर ट्रैक पर पहुंचकर विरोध दर्ज कराया। उन्होंने चुनाव आयोग पर गरीबों के अधिकारों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया।
कांग्रेस का विरोध और राहुल गांधी की मौजूदगी
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पटना के सचिवालय हॉल्ट स्टेशन पर ट्रैक जाम किया। राहुल गांधी खुद पटना रवाना हो चुके हैं और वह विपक्षी मार्च में शामिल होंगे। भोजपुर के बिहिया स्टेशन पर भी ट्रेनों को रोका गया है, वहीं जहानाबाद में राजद के छात्र संगठन के सदस्य प्रदर्शन करते नजर आए।
पटना के प्रमुख मार्गों पर ट्रैफिक जाम
पटना को जोड़ने वाले महात्मा गांधी सेतु को पूरी तरह बंद कर दिया गया है, जिससे वाहनों की लंबी कतारें लग गई हैं। कई यात्री, जिनके पास ट्रेन या फ्लाइट का टिकट है, अपने कंधे पर सामान उठाकर पैदल ही कई किलोमीटर की दूरी तय कर रहे हैं।
अन्य जिलों में भी व्यापक विरोध
मुजफ्फरपुर में राजद कार्यकर्ताओं ने सड़क पर टायर जलाकर जाम लगाया और ट्रेनें रोकीं। हाजीपुर में भी आगजनी और चक्का जाम की खबर है। खगड़िया में भी बंद समर्थकों ने टायर जलाकर विरोध प्रदर्शन किया और सरकार पर जानबूझकर गरीब तबकों के नाम वोटर लिस्ट से हटाने का आरोप लगाया।
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव सड़क पर उतरेंगे
इंडिया गठबंधन का आरोप है कि निर्वाचन आयोग द्वारा मांगे गए 11 दस्तावेज गरीब तबके के पास नहीं होते, जिससे करोड़ों मतदाता सूची से बाहर हो सकते हैं। इसी मुद्दे पर 9 जुलाई को बंद का आयोजन किया गया। इस आंदोलन में कांग्रेस, राजद, सीपीआई, सीपीएम, भाकपा माले जैसे प्रमुख दलों के नेता शामिल हैं, जिनमें दीपंकर भट्टाचार्य, एमए बेबी और डी राजा भी शामिल हैं।
पटना में विरोध मार्च की योजना
सुबह 9:30 बजे आयकर गोलंबर से मुख्य निर्वाचन कार्यालय तक विरोध मार्च निकाला जाएगा, जो वीरचंद पटेल पथ और शहीद स्मारक होते हुए सीईओ कार्यालय तक पहुंचेगा। वहां घेराव और पुनरीक्षण प्रक्रिया पर रोक की मांग की जाएगी।
महागठबंधन की प्रमुख मांग
महागठबंधन की मांग है कि यह विशेष पुनरीक्षण अभियान आगामी विधानसभा चुनाव के बाद किया जाए ताकि किसी भी वर्ग के वोटिंग अधिकार पर आंच न आए। मंगलवार को बंद की रणनीति को लेकर सभी विपक्षी दलों ने बैठक की और व्यापक जनसंपर्क के जरिए आम लोगों को इस आंदोलन से जोड़ने की योजना बनाई।
राष्ट्रव्यापी श्रमिक हड़ताल: 25 करोड़ कामगारों का समर्थन
देशभर में श्रमिक संगठनों ने निजीकरण, चार लेबर कोड और श्रमिक अधिकारों के खिलाफ व्यापक हड़ताल का आह्वान किया है। बैंक, बीमा, डाक, कोयला, निर्माण और परिवहन सेवाएं प्रभावित होने की संभावना है। सरकारी और सहकारी बैंकों के बंद रहने की आशंका है। एलआईसी जैसे बीमा कार्यालयों में कामकाज रुक सकता है।
प्रमुख मांगें
- चार लेबर कोड रद्द किए जाएं
- सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण रोका जाए
- मनरेगा जैसे ग्रामीण रोजगार कार्यक्रमों को मजबूत किया जाए
- सभी मजदूरों को न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा मिले
- ग्रामीण भारत भी आंदोलन का हिस्सा
AITUC की अमरजीत कौर के अनुसार, यह हड़ताल शहरी क्षेत्रों के साथ ग्रामीण भारत में भी असर डालेगी। किसान संगठनों और कृषि मजदूर यूनियनों का समर्थन भी इस आंदोलन को मिला है। हालांकि रेलवे और टूरिज्म सेवाओं को फिलहाल हड़ताल से बाहर रखा गया है, ताकि आवश्यक सेवाएं प्रभावित न हों।
ट्रेड यूनियन नेताओं के अनुसार, यह आंदोलन पहले की हड़तालों से भिन्न है क्योंकि यह मजदूर और किसान दोनों तबकों का साझा प्रयास है। अभी तक सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।