Atal Bihari Vajpayee: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की आज यानी 25 दिसंबर को जयंती है। इनकी जयंती पर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, पीएम नरेंद्र मोदी समेत कई बड़े नेताओं और मंत्रियों ने श्रद्धांजलि दी है। पीएम मोदी ने ट्वीट करके एक भी वीडियो शेयर की है। उन्होंने लिखा “अटल जी की जयंती पर उन्हें शत शत नमन। भारत के लिए उनका योगदान अमिट है। उनका नेतृत्व और दूरदृष्टि लाखों लोगों को प्रेरित करती है।” वहीं, गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर उनकी समाधी स्थल ‘सदैव अटल’ पर पुष्पांजलि अर्पित की।
Atal Bihari Vajpayee: अटल जी एक सच्चे राष्ट्रभक्त-पीएम मोदी
अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर पीएम मोदी ने ट्वीट कर एक वीडियो ‘अटल जी एक सच्चे राष्ट्रभक्त’ शेयर की है। वीडियो में पीएम मोदी ने कहा है “अटल जी एक सच्चे देशभक्त थे। किशोर अवस्था से लेकर जीवन के अंत तक, शरीर ने जब तक साथ दिया, वे जिये देश के लिए, देशवासियों के लिए, उसूलों के लिए, समान मानवी के अरमानों के लिए। एक विचार के प्रति प्रतिबद्धता के कारण, राष्ट्र के प्रति पूर्ण समर्पण होने के कारण, शून्य में से सृष्टि का निर्माण कैसे होता है, उसे करने वालों में एक महापुरुष अटल बिहारी वाजपेयी, अग्रिम पंक्ति में उनका नाम है। उनके समृद्ध और विकसित भारत के सपने को पूरा करते हुए संकल्प को दोहराते हुए मैं हम सब की ओर से अटल जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।”
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अटल जी की समाधि 'सदैव अटल' पर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की।
उपराष्ट्रपति ने पूर्व पीएम को दी श्रद्धांजलि
देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को नमन किया। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की समाधि स्थल ‘सदैव अटल’ जाकर पुष्पांजलि अर्पित किया। उन्होंने कहा “अटल बिहारी वाजपेयी जी सबसे सम्मानित नेताओं और राजनेताओं में से एक थे, जिन्हें लोकतंत्र, समावेशिता और प्रगति के प्रति उनकी मजबूत प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है। उन्हें हमेशा एक दूरदर्शी प्रधानमंत्री के रूप में याद किया जाएगा जिन्होंने 21वीं सदी के लिए हमारे देश के विकास की दिशा तय की।”
पीएम मोदी ने ‘सदैव अटल’ पर दी श्रद्धांजलि
एएनआई के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की समाधि स्थल ‘सदैव अटल’ पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
भारतीय राजनीति के शिखर स्तंभ अटल जी- अमित शाह
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर कहा “भारतीय राजनीति के शिखर स्तंभ अटल जी का जीवन देश को पुनः परम वैभव पर ले जाने में समर्पित रहा। उन्होंने विकास व सुशासन के नये युग की नींव रख अपने नेतृत्व से दुनिया को भारत के सामर्थ्य से परिचित कराया और जनता में राष्ट्रगौरव का भाव जगाया। आज अटल जी की जयंती पर उन्हें कोटिशः नमन।”
पत्रकार से राजनीति तक, ऐसे रहा भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का सफर
25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म हुआ। अटल के पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी और मां कृष्णा देवी थे। वाजपेयी का संसदीय अनुभव पांच दशकों से भी अधिक का विस्तार लिए हुए है।
वाजपेयी की जिंदगी के किस्से ‘आदर्श राजनीति, लोकप्रिय नेता, सह्रदय कवि’ पर चर्चा के दौरान जिक्र किए जाते हैं। इस वक्त जब देश में जनादेश एक पार्टी को मिला है और नरेंद्र मोदी इसके केंद्र हैं तो वाजपेयी का नाम इसलिए भी याद किया जाता है जिन्होंने 1999 में बतौर प्रधानमंत्री वैसे गठबंधन का नेतृत्व किया जिसमें 24 पार्टियां थीं और 81 मंत्री थे।
देश का प्रधानमंत्री होने पर भी उनका व्यक्तित्व कमाल था। बीजेपी के साथ उस समय नए सहयोगी दल जुड़ते गए, वो भी तब जब बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद दक्षिणपंथी झुकाव के कारण उस जमाने में बीजेपी को राजनीतिक रूप से अछूत माना जाता था।
अटल बिहारी वाजपेयी 1951 से भारतीय राजनीति का हिस्सा बने। उन्होंने 1955 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे। इसके बाद 1957 में वह सांसद बने। अटल बिहारी वाजपेयी कुल 10 बार लोकसभा के सांसद रहे। वहीं, वह दो बार 1962 और 1986 में राज्यसभा के सांसद भी रहे। इस दौरान अटल ने उत्तर प्रदेश, नई दिल्ली और मध्य प्रदेश से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीते। वह गुजरात से राज्यसभा पहुंचे थे।
अपनी भाषण कला, मनमोहक मुस्कान, वाणी के ओज, लेखन व विचारधारा के प्रति निष्ठा तथा ठोस फैसले लेने के लिए विख्यात वाजपेयी को भारत व पाकिस्तान के मतभेदों को दूर करने की दिशा में प्रभावी पहल करने का श्रेय दिया जाता है। इन्हीं कदमों के कारण ही वह बीजेपी के राष्ट्रवादी राजनीतिक एजेंडे से परे जाकर एक व्यापक फलक के राजनेता के रूप में जाने जाते हैं।
1957 भारतीय लोकतंत्र का बचपन था 52 में पहला चुनाव हुआ था। देश में डेमोक्रेसी आकार ले ही रही थी। नामांकन, प्रचार, मतदान, वोटों की गिनती सब कुछ नया था। पराधीन भारत में अंग्रेजों की सरपस्ती में कुछ चुनाव हुए थे, लेकिन भारत से लोकतंत्र का पहला वास्ता 1952 में ही हुआ था। इसी लोकतंत्र की नर्सरी में वाजपेयी अपना राजनीतिक भाग्य आजमाने को उतरे थे।
लोकतंत्र के इसी बैकड्राप में बेहद सीमित संसाधनों के साथ वाजपेयी 1957 का चुनाव लड़ने उतरे।आज के जमाने में कारों के काफिले और बाइक रैली को देखकर आदी हो चुकी जनता को शायद ही यकीन हो कि उस जमाने में नेता साइकिल, बैलगाड़ी और पैदल तक से प्रचार करते थे। जीप तो प्रत्याशी को ही मिल पाती थी।
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