आंध्र प्रदेश के बाद अब पश्चिम बंगाल में भी केंद्रीय जांच एजेंसी बिना राज्य सरकार की इजाजत के प्रवेश नहीं कर सकेगी। पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने सीबीआई को सूबे में छापे मारने या जांच करने के लिए दी गई सामान्य रजामंदी शुक्रवार को वापस ले ली है। बता दें इससे पहले आंध्र प्रदेश सरकार ने भी यही कदम उठाया था।

आंध्र प्रदेश सरकार की घोषणा के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर वहां के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का समर्थन किया था। ममता बनर्जी ने कहा था, चंद्रबाबू नायडू ने बिल्कुल सही किया। भाजपा अपने राजनीतिक हितों और बदला लेने के लिए सीबीआई व अन्य एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है।

पश्चिम बंगाल में साल 1989 में तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार ने सीबीआई को छापे मारने और जांच करने की सामान्य रजामंदी दी थी। इस अधिसूचना के बाद सीबीआई को अब से अदालत के आदेश के अलावा अन्य मामलों में किसी तरह की जांच करने के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी। सीबीआई दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान कानून के तहत काम करती है।

हालांकि सूत्रों ने कहा है कि सीबीआई को इस संबंध में किसी तरह का पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। सूत्र का कहना है कि इस तरह की नोटिफिकेशन मिलने की स्थिति में सीबीआई फैसले के खिलाफ कानूनी सहारा ले सकती है। माना जा रहा है कि इस साल राज्य की चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई वाली टीडीपी सरकार के एनडीए से अलग होने के बाद केंद्र से राज्य सरकार के संबंध काफी खराब हो गए।

नायडू 2019 में होने वाले आम चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने में जुटे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और वाईएसआर कांग्रेस मिलकर राज्य सरकार को अस्थिर कर रहे हैं। नायडू के इस फैसले का कांग्रेस ने भी समर्थन किया है। कांग्रेस के नेता पीसी चाको ने कहा कि चंद्रबाबू नायडू ने किया है उसे हर राज्यों को करना चाहिए। अगर कानून की व्यवस्था है तो राज्य अपने स्टैंड ले सकते हैं।

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