केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दो दिन के छत्तीसगढ़ प्रवास पर हैं। शुक्रवार रात रायपुर पहुंचने के बाद आज उनका कार्यक्रम नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र में है। शाह आज विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा के प्रमुख पारंपरिक आयोजन ‘मुरिया दरबार’ में शामिल होंगे। यह दौरा सिर्फ सांस्कृतिक उपस्थिति तक सीमित नहीं, बल्कि नक्सलवाद के खात्मे और राजनीतिक रणनीति – दोनों मोर्चों पर बेहद अहम माना जा रहा है।
मां दंतेश्वरी मंदिर में पूजा, मुरिया दरबार में संवाद
शनिवार दोपहर अमित शाह जगदलपुर पहुंचेंगे, जहां वह सबसे पहले मां दंतेश्वरी मंदिर में दर्शन-पूजन करेंगे। इसके बाद वह मुरिया दरबार में शामिल होकर आदिवासी समुदाय के नेताओं और पुजारियों से बातचीत करेंगे। कार्यक्रम के बाद शाह स्वदेशी मेले का भी दौरा करेंगे। बस्तर में शाह की मौजूदगी को स्थानीय परंपराओं के सम्मान और जनजातीय समाज के साथ जुड़ाव के तौर पर देखा जा रहा है।
नक्सल मुक्त बस्तर की दिशा में समीक्षा
शाह का यह दौरा सुरक्षा दृष्टि से भी अहम है। गृह मंत्री बस्तर में सुरक्षा एजेंसियों और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे, ताकि नक्सल प्रभावित इलाकों में चल रहे अभियानों की प्रगति का आकलन किया जा सके।
केंद्र सरकार ने मार्च 2026 तक बस्तर को पूरी तरह नक्सल मुक्त बनाने का लक्ष्य तय किया है। इसी मिशन की प्रगति की समीक्षा शाह इस दौरे के दौरान करेंगे।
राजनीतिक और संगठनात्मक संदेश
बस्तर में अमित शाह की मौजूदगी का राजनीतिक महत्व भी गहरा है। विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी यहां अपने संगठन को मजबूत करने और कार्यकर्ताओं में जोश भरने की रणनीति पर काम कर रही है। शाह का यह दौरा पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा और शक्ति प्रदर्शन का अवसर माना जा रहा है। साथ ही, आदिवासी मतदाताओं के बीच भरोसा बढ़ाने की कोशिश भी इस यात्रा के केंद्र में है।
नक्सलवाद पर सरकार का सख्त रुख
अमित शाह कई मौकों पर यह दोहरा चुके हैं कि सरकार का लक्ष्य 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सल मुक्त बनाना है। 2023 में बीजेपी सरकार के सत्ता में आने के बाद छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियानों ने नई रफ्तार पकड़ी है।
अब तक की कार्रवाई में 450 से अधिक नक्सली मारे जा चुके हैं, जिनमें अधिकांश बस्तर क्षेत्र के हैं।
ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट की सफलता
सितंबर में शाह ने ‘ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट’ को सफलतापूर्वक अंजाम देने वाले CRPF, कोबरा, DRG और छत्तीसगढ़ पुलिस के जवानों को सम्मानित किया था। उन्होंने कहा था कि जवानों का पराक्रम भारतीय सुरक्षा इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज किया जाएगा।
नक्सली या तो आत्मसमर्पण करें या कानून का सामना
गृह मंत्री ने स्पष्ट कहा था कि सरकार तब तक चैन से नहीं बैठेगी जब तक हर नक्सली या तो आत्मसमर्पण नहीं कर देता या गिरफ्तार/ढेर नहीं किया जाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत को नक्सल मुक्त बनाना केंद्र सरकार की प्राथमिकता है।
अमित शाह का यह बस्तर दौरा इसलिए भी खास है क्योंकि यह सांस्कृतिक सम्मान, सुरक्षा समीक्षा और राजनीतिक संदेश – तीनों को एक साथ जोड़ता है। आने वाले महीनों में छत्तीसगढ़ की सियासत और नक्सल विरोधी रणनीति – दोनों पर इस दौरे के असर को बारीकी से देखा जाएगा।