लोकसभा में “ऑपरेशन सिंदूर” पर बहस के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए “ऑपरेशन महादेव” की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के तीनों मुख्य आरोपी – सुलेमान, अफगान और जिबरान – भारतीय सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के साझा अभियान में ढेर कर दिए गए हैं।
पहचान के बाद हुआ एनकाउंटर
गृह मंत्री ने कहा कि इन आतंकियों की पहचान की पुष्टि पहले से हिरासत में लिए गए संदिग्धों के माध्यम से की गई। शवों की शिनाख्त चार लोगों ने की, जिनके अनुसार ये वही आतंकी थे जिन्होंने पहलगाम में धर्म पूछकर निर्दोष लोगों की हत्या की थी। उनके पास से मिले कारतूस और सबूतों ने भी इस बात को साबित किया।
तीनों थे लश्कर-ए-तैयबा के ए-ग्रेड आतंकी
सुलेमान उर्फ फैजल, अफगान और जिबरान – ये तीनों लश्कर से जुड़े ए-श्रेणी के आतंकी थे। बैसरन घाटी में नागरिकों पर हमला करने में इनका हाथ था। शाह ने साफ कहा कि यह हमला सुनियोजित था और इसके पीछे पाकिस्तान से संचालित आतंकी नेटवर्क की भूमिका थी।
कांग्रेस पर सीधा वार
गृह मंत्री ने विपक्ष खासकर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आतंकियों के मारे जाने की खबर से विपक्ष को संतोष होना चाहिए था, लेकिन उनकी प्रतिक्रिया निराशाजनक रही। पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम पर तंज कसते हुए शाह ने कहा कि पाकिस्तान को क्लीन चिट देने जैसे बयानों से देश की जनता भ्रमित नहीं होगी।
ऑपरेशन सिंदूर: PoK में जवाबी कार्रवाई
शाह ने बताया कि 30 अप्रैल को CCS बैठक में सुरक्षा बलों को पूर्ण स्वतंत्रता दी गई, जिसके बाद 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया। इसमें पाकिस्तान की धरती पर स्थित 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस कार्रवाई में कोई पाकिस्तानी नागरिक नहीं मारा गया।
‘अब भारत चुप नहीं बैठता’
अमित शाह ने कांग्रेस की तुलना करते हुए कहा कि यह अब मनमोहन सिंह की सरकार नहीं है। अब भारत डोजियर थमाने वाला देश नहीं, बल्कि सटीक जवाब देने वाला राष्ट्र है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के 11 एयरबेस को निशाना बनाया गया और 8 स्थानों पर ऐसे हमले किए गए जिससे उनकी एयर डिफेंस प्रणाली हिल गई।
‘PoK आज होता ही नहीं अगर…’
गृह मंत्री ने कांग्रेस के ऐतिहासिक फैसलों पर सवाल उठाते हुए कहा कि नेहरू ने 1960 में सिंधु जल का 80% पाकिस्तान को दे दिया और 1971 के शिमला समझौते में PoK का मुद्दा नजरअंदाज कर दिया गया। उन्होंने कहा कि आज की सरकार ऐसी गलतियों को दोहराने वाली नहीं है और आतंकियों को पनाह देने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा।
इस पूरे घटनाक्रम में अमित शाह ने न सिर्फ सुरक्षा बलों की कार्रवाई का लेखा-जोखा पेश किया बल्कि विपक्ष की भूमिका पर गंभीर सवाल भी खड़े किए। उनका संदेश साफ था—भारत अब आतंक के खिलाफ सिर्फ बयान नहीं, ठोस कार्रवाई करता है।