अयोध्या में मंदिर बनाने को लेकर RSS की बैठक मेरठ के माधवकुंज में आयोजित की गई। इस बैठक में RSS, VHP समेत संघ के अनुसांगिक संगठनों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में पहुंचे। प्रदेश सरकार के आधा दर्जन मंत्रियों और पश्चिम के जनप्रतिनिधियों ने भी इस बैठक में शिरकत थी। संघ ने 9 दिसंबर को दिल्ली में होने वाली VHP की धर्मसभा के लिए रणनीति बनाकर कहा कि अब बस राम मंदिर चाहिए ही चाहिए। बैठक की शुरूआत में संघ के प्रांत प्रचारक धनीराम ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि विवाह संबधों, समलैंगिकों की समस्याओं, अफजल गुरू और कसाब जैसे आतंकियों के केसों में सुप्रीम कोर्ट के पास सुनवाई के लिए समय है।
शहरी नक्सलों के बचाव की याचिकाएं भी सुप्रीम कोर्ट तत्काल सुनता है, लेकिन सवा सौ करोड़ हिन्दुओं के आराध्य भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर मंदिर को लेकर चल रहा केस सुप्रीम कोर्ट की प्राथमिकता में नहीं है। 29 अक्टूबर के बाद इस मुद्दे पर कोर्ट से उम्मीदें क्षीण हो चुकी है।
प्रांत प्रचारक धनीराम ने कहा कि देर से मिलने वाले न्याय का अर्थ न्याय की हत्या होने जैसा है। सुप्रीम कोर्ट देश के अन्य न्यायालयों को तेजी से केसों के निपटारे के आदेश देता है और स्वयं ही राममंदिर जैसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण मुद्दे पर सुनवाई को सात साल तक टालता है। यही सही समय है जब अध्यादेश या कानून के जरिये इस मुद्दे को हल करने की मांग उठाई जाये। इंदिरा गांधी ने भी सुप्रीम कोर्ट में अटके अपने चुनाव के मसले को कानून बनाकर हल कराया था।
संघ के प्रांत प्रचारक ने कहा कि 490 साल पहले श्रीराम मंदिर तोड़ा गया। 1522 से लेकर 2018 तक हिन्दू उस मंदिर को पाने के लिए 77 बार न्यायोचित संघर्ष कर चुका है। जन्मभूमि पर 60 फीट नीचे तक की गई खुदाई के नतीजे बताते है कि बाबरी ढांचे के नीचे सवा दो हजार साल से विशाल मंदिर मंदिर विद्यमान था। अब कानून के जरिये जन्मभूमि हिन्दुओं को सौंपकर वहां प्राचीन मंदिर का स्वरूप हासिल किया जाना है। 9 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में होने वाली धर्मसभा के लिए बड़ी तैयारियां कर ली गई है। अकेले मेरठ प्रांत से करीब साढ़े तीन लाख लोगो को धर्मसभा में ले जाने का प्लान तैयार किया गया है। प्रांत प्रचारक धनीराम ने बताया कि इतनी बड़ी भीड़ को मेरठ प्रांत के अलग-अलग इलाकों से 5571 बसों के जरिये दिल्ली ले जाया जायेगा। इस बैठक में हिंदू जागरण मंच, भारतीय मजदूर संघ, भारतीय किसान संघ, विद्या भारती, अधिवक्ता परिषद, विद्यार्थी परिषद, भाजपा, RSS और VHP के पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे।