लद्दाख में पहुंचे 7700 रोहिंग्या मुसलमान गायब हो गए हैं। लेह पुलिस और करगिल पुलिस का दावा है कि यहां कोई भी रोहिंग्या नहीं है। लद्दाख क्षेत्र के शहरी एवं ग्रामीण इलाकों के काउंसलर भी कुछ ऐसा ही जवाब देते हैं कि अब यहां रोहिंग्या दिखाई नहीं पड़ते। इनका कहना है कि वर्क परमिट या कोई दूसरा सरकारी दस्तावेज बनवाने के लिए भी कोई उनके पास नहीं आया है। दूसरी ओर जम्मू-कश्मीर सरकार अधिकारिक तौर पर यह कह चुकी है कि लद्दाख में 7 हजार से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान हैं। केंद्र सरकार ने भी माना था कि लद्दाख में पहुंचे करीब 7700 रोहिंग्या देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है। कुछ ही दिन पहले खुफिया एजेंसी का एक इनपुट था कि 55 रोहिंग्या लद्दाख पहुंच गए इैं।इस बात को भी करगिल और लेह प्रशासन सिरे से नकार रहा है।
बता दें कि साल 2012 में यूएन हाई कमीशन फॉर रिफ्यूजी (यूएनएचसीआर) ने अधिकारिक तौर पर भारत में 14 हजार रोहिंग्या मुसलमानों को शरण दिलाने की बात कही थी। गत वर्ष ऐसी खबरें आई कि देश में रोहिंग्या की संख्या बढ़कर 40 हजार के पार पहुंच गई है। जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद, केरल, दिल्ली, मेवात हरियाणा, कोलकाता, यूपी और उत्तर पूर्व के कुछ राज्यों में इनकी उपस्थिति पाई गई है।
जम्मू-कश्मीर सरकार ने भी कहा था कि 5700 रोहिंग्या जम्मू और 7664 रोहिंग्या लद्दाख में हैं। हालांकि सरकार ने कश्मीर बाबत ऐसा कुछ नहीं कहा था, लेकिन खुफिया एजेंसी की मानें तो सबसे ज्यादा रोहिंग्या कश्मीर में ही बसे हैं। वहीं से ये लोग लद्दाख के करगिल और लेह तक पहुंचे थे।
केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी इस बात की पूरी जानकारी है कि पाकिस्तान आसानी से कश्मीर में रह रहे रोहिंग्या के करीब आ सकता है। इसी के चलते जम्मू-कश्मीर पुलिस और दूसरी एजेंसियां, जिनमें सैन्य एवं अर्धसैनिक बल शामिल हैं, को अलर्ट जारी किया गया था।