एक देश एक चुनाव (लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ) कराने के मुद्दे पर सियासी दल आपस में बंटे हुए हैं। विधि आयोग के इस प्रस्ताव पर 6 पार्टियां खुलकर इसके समर्थन में आई है।  वहीं 9 दलों ने इसका विरोध किया है।

दिलचस्प बात यह है कि देश की सबसे बड़ी दो पार्टी बीजेपी और मुख्य विपक्षी कांग्रेस इस पर खामोश है।

देश में एक साथ चुनाव कराने के विषय में दो दिवसीय परामर्श कार्यक्रम के समापन पर राजग के घटक दल शिरोमणि अकाली दल के अलावा अन्नाद्रमुक, समाजवादी पार्टी, जदयू, टीआरएस और नवीन पटनायक के बीजू जनता दल ने इस विचार का समर्थन किया है।बीजद हालांकि 10 जुलाई को अपना पक्ष रखेगा।

टीआरएस सांसद बी विनोद कुमार ने कहा कि यह भाजपा या प्रधानमंत्री मोदी का एजेंडा नहीं है। विधि आयोग ने बहुत पहले इसकी पहल की थी। पार्टी और इसके प्रमुख चंद्रशेखर राव मानते हैं कि एक साथ चुनाव होने से राज्यों और देश के विकास में मदद मिलेगी। वहीं बीजेपी के सहयोगी दल गोवा फॉरवर्ड पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, डीएमके, तेलगु देशम पार्टी, भाकपा, माकपा, फॉरवर्ड ब्लॉक और जनता दल (एस) ने इसका विरोध किया है।

सपा के प्रतिनिधि राम गोपाल यादव ने इस विचार का समर्थन किया, हालांकि उन्होंने कहा कि पहला एक साथ चुनाव 2019 में ही लोकसभा के साथ ही होना चाहिए। हालांकि यदि अगले साल एक साथ चुनाव हुए तो यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार का कार्यकाल काफी छोटा हो जाएगा। वहीं अकाली दल ने कहा इससे चुनावी खर्च तो कम होंगे ही, आचार संहिता का समय भी कम हो जाएगा।

टीडीपी ने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में यह संभव नहीं है। टीएमसी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इससे क्षेत्रीय मुद्दे दब जाएंगे।

जहां एक तरफ एक साथ चुनाव के समर्थन में आवाज बुलंद करने वाली भाजपा ने इस प्रस्ताव पर अपनी राय रखने के लिए आयोग से और वक्त मांगा है। पार्टी का कहना है के मौजूदा आयोग का कार्यकाल अगस्त में समाप्त हो रहा है। वहीं दूसरी कांग्रेस ने कहा है कि वह इस मसले पर अपना मन बनाने से पहले विरोधी दलों से विचार-विमर्श करेगी।

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