अमेरिका के साथ छिड़े टैरिफ विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा ऐतिहासिक साबित हुई है। इस दौरे में भारत और जापान ने 21 अहम समझौते किए हैं, जो न सिर्फ अगले दशक बल्कि 21वीं सदी के भारत की दिशा और दशा तय करेंगे। विशेषज्ञ मानते हैं कि इन समझौतों से एशिया में नई रणनीतिक शक्ति उभरकर सामने आएगी और अमेरिका को अपनी भारत नीति पर दोबारा सोचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
भारत-जापान साझेदारी के जरिए बनने वाला यह नया आर्थिक व रणनीतिक गठजोड़, वाशिंगटन के लिए उस गलती की याद दिलाएगा जब उसने भारत के साथ रिश्तों को सही ढंग से मजबूत करने का मौका खो दिया था। अगर अमेरिका ने भारत को नज़रअंदाज न किया होता तो कई बड़े समझौते वहां भी हो सकते थे, जिनका लाभ उसे मिलता।
पीएम मोदी और जापान के पीएम शिगेरू इशिबा के बीच हुए 21 बड़े समझौते
प्रमुख समझौते
- अगले 10 साल के लिए भारत-जापान का संयुक्त दृष्टिकोण (Joint Vision)
- सुरक्षा सहयोग पर संयुक्त घोषणा (Joint Declaration on Security Cooperation)
- मानव संसाधन विनिमय की कार्ययोजना
- ISRO और JAXA के बीच चंद्रयान-5 मिशन हेतु सहयोग व्यवस्था
- स्वच्छ हाइड्रोजन और अमोनिया पर संयुक्त इरादे की घोषणा
- विज्ञान-प्रौद्योगिकी सहयोग के लिए संयुक्त वक्तव्य
- सहयोग ज्ञापन (MoU)
- संयुक्त क्रेडिटिंग मैकेनिज्म पर समझौता
- डिजिटल साझेदारी 2.0
- खनिज संसाधनों में सहयोग
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर सहयोग
- विकेन्द्रीकृत अपशिष्ट जल प्रबंधन पर MoU
- पर्यावरण सहयोग पर MoU
- सुषमा स्वराज विदेश सेवा संस्थान और जापान विदेश मंत्रालय के बीच MoU
घोषणाएं
- भारत में अगले दशक में जापान से 10 ट्रिलियन येन (करीब 68 अरब डॉलर) का निवेश
- रणनीतिक आपूर्ति श्रृंखला स्थिरता हेतु आर्थिक सुरक्षा पहल
- भारत-जापान AI पहल
- नई पीढ़ी की मोबिलिटी साझेदारी
- SME मंच की स्थापना
- सस्टेनेबल फ्यूल पहल
- राज्यों व प्रांतों के बीच उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान
- कंसाई व क्यूशू क्षेत्रों के बीच व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए नए व्यापार मंच
क्यों ये साझेदारी अमेरिका के लिए चुनौती है?
स्वतंत्र साझेदारी का संकेत – भारत और जापान अब केवल अमेरिका पर निर्भर न रहकर अपनी रणनीतिक भूमिका तय कर रहे हैं। इसका असर एशिया-प्रशांत क्षेत्र की शक्ति-संतुलन पर पड़ सकता है।
चीन के खिलाफ नया संतुलन – सुरक्षा सहयोग की संयुक्त घोषणा से साफ है कि दोनों देश चीन के खिलाफ अपनी रणनीति मज़बूत कर रहे हैं, लेकिन इसमें अमेरिका सीधे तौर पर शामिल नहीं है।
तकनीकी और ऊर्जा में सहयोग – AI, डिजिटल साझेदारी और हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में भारत-जापान का सहयोग अमेरिका की तकनीकी बढ़त को चुनौती दे सकता है।
अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र – ISRO-JAXA का चंद्रयान सहयोग, NASA से अलग एक नए दौर की साझेदारी को दिखाता है।
आर्थिक निवेश – जापान का 10 ट्रिलियन येन निवेश, अमेरिका के इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क की पकड़ को कमजोर कर सकता है।
क्वाड में अमेरिका की स्थिति – भारत-जापान की बढ़ती नज़दीकियां क्वाड में अमेरिकी दबदबा घटा सकती हैं।
कुल मिलाकर, ये 21 समझौते भारत-जापान की साझेदारी को एक नए मुकाम पर ले जाएंगे। यह न केवल भारत की विकासगाथा को नई ऊंचाइयां देंगे, बल्कि अमेरिका के लिए यह संकेत भी होंगे कि उसने भारत जैसे बड़े साझेदार को समय रहते प्राथमिकता न देकर बड़ी रणनीतिक चूक की है।