आज भारत तेजी से विकास की राह पर चल रहा है। भारत के इस विकास में सिर्फ भारत में रह रहे भारतीयों का ही हाथ नहीं है बल्कि देश के बाहर रह रहे भारतीय मूल के निवासियों का भी योगदान है। यह बात पीएम मोदी ने प्रवासी दिवस के मौके पर कही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को प्रवासी भारतीय केंद्र में पीआईओ संसदीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस सम्मेलन में 23 देशों के 124 सांसद और 17 मेयर शामिल हुए। इस दौरान पीएम मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि 125 हिंदुस्तानियों की तरफ से आपका स्वागत है। वेलकम टू इंडिया, वेलकम टू होम।

पीएम ने कहा कि किसी को जबरदस्‍ती तो किसी को बहला फुसलाकर यहां से ले जाया गया था, लेकिन आपका एक अंश आज भी यहां है। पीएम मोदी ने कहा कि लोगों की उम्‍मीद बढ़ी है और भारत में कारोबारी माहौल सुधरा है। आज वर्ल्‍ड बैंक, मू‍डीज जैसी संस्‍थाएं भारत की और देख रही है। पीएम ने कहा कि आप लोग लंबे समय से अलग-अलग देशों में रह रहे हैं। आपने अनुभव किया होगा कि पिछले तीन-चार वर्षों में भारत के प्रति नजरिया बदल गया है। हम पर फोकस बढ़ रहा है, विश्व का हमारे प्रति नजरिया बदल रहा है, तो इसका मुख्य कारण यही है कि भारत स्वयं बदल रहा है, ट्रांसफॉर्म हो रहा है।

पीएम मोदी ने कहा कि भारत की विकास यात्रा में प्रवासी भारतीयों का भी पूरा महत्व है, आप निवेश के जरिए भी देश की सेवा कर सकते हैं। पीएम ने 2019 में होने वाले कुंभ मेले का भी जिक्र किया, उन्होंने कहा कि यूपी सरकार इसके लिए व्यापक तैयारी कर रही हैं। अगले साल जब आप भारत आएं तो कुंभ मेले का भी दर्शन करें। मोदी ने सभी से आग्रह किया कि अपने देश में इस बात को बताएं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने यहां विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की जमकर तारीफ की। उन्होंने बताया कि सुषमा जी हर समय  भारतीय नागरिकों की मदद करती हैं। प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि आपको यहां देखकर आपके पूर्वजों को कितनी प्रसन्नता हो रही होगी, इसका अंदाजा हम सभी लगा सकते हैं. वो जहां भी होंगे, आपको यहां देखकर बहुत खुश होंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की आवश्यकताओं, शक्तियों और विशेषताओं को विश्व तक पहुंचाने की जितनी क्षमता आप में हैं, और किसी में नहीं है। बता दें कि इससे पहले सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिये 30 देशों को आमंत्रण भेजा गया था और 23 ने अपनी भागीदारी की पुष्टि की है। इस सम्मेलन में  ब्रिटेन, कनाडा, फिजी, केन्या, मॉरीशस, न्यूजीलैंड, श्रीलंका और अन्य देशों से 124 सांसदों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।

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