Health News: जहां एक ओर दुनिया में कोरोना के बाद मंकीपॉक्स के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इसी बीच पशुओं में भी एक नया त्वचा रोग लंपी पाया गया है। इसके बाद से लोगों में दहशत का माहौल है। ये एक प्रकार की संक्रामक बीमारी है जो बड़ी ही तेजी से पशुओं के बीच फैल रही है।
हाल में गुजरात के 33 में से 17 जिलों में लंपी वायरस की चपेट में आने से 1240 गायों की मौत हो चुकी है। दूसरी तरफ राजस्थान में भी करीब इतनी ही गाय इस रोग से जान गंवा चुकी हैं। सरकार हालात पर नजर बनाए हुए है इसी क्रम में पोरबंदर में एक आइसोलेशन सेंटर खोला गया है। जिसमें करीब 372 पशु रखे गए हैं।
Health News: लंपी की 3 प्रजातियां फैला रहीं संक्रमण
संक्रामक रोग लंपी को 3 प्रजातियां फैला रही हैं। पहली और सबसे मुख्य प्रजाति कैप्रिपॉक्स वायरस, दूसरी गॉटपॉक्स वायरस और तीसरी शॉपपॉक्स वायरस है। इसके अलावा अन्य प्रजातियां भी हैं, लेकिन उनके मामले कम दिखाई दे रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार लंपी पशुओं में होने वाला संक्रामक रोग होता है।
ये नीथलिंग नामक वायरस से फैलता है। ये यूरिन या स्टूल में जीवित नहीं रहता, लेकिन कोशिकाओं में 120 दिन रह सकता है। लंपी त्वचा रोग मच्छरों, मक्खियों, जूं एवं ततैयों से फैलता है, जो इसके वाहक बनते हैं। इसके अलावा ये पशुओं या मवेशियों के सीधे संपर्क में आने और दूषित भोजन और पानी से भी फैलता है।
Health News: जानिए लंपी के लक्षण
इस रोग में पशुओं को बुखार, लिंफनोडस में सूजन, त्वचा पर 2 से 5 सेंटीमीटर का घाव बन जाता है। संक्रमण के बाद करीब एक सप्ताह तक बुखार रहता है। इसमें पशु के शरीर का तापमान 106 डिग्री फेरेनहाइट तक पहुंचना संभव है।
Health News: पशुओं को लग रहा टीका
गुजरात में पशुओं की मौत के बाद प्रशासन इसे गंभीरता से ले रहा है। यहां मवेशियों को टीका लगाकर रोग को रोकने की कोशिश की जा रही है। डॉक्टर्स का कहना है कि लक्षणों के आधार पर ही इसका इलाज संभव है।
Health News: पशु विशेषज्ञों को किया अलर्ट
गुजरात के कृषि एवं पशुपालन मंत्री राघवजी पटेल ने बताया कि लंपी को फैलने से रोकने के लिए राज्य में करीब 5 लाख से अधिक पशुओं का टीकाकरण किया गया है। सौराष्ट्र में इसके केस अधिक हैं। ऐसे में करीब 1 हजार से अधिक पशु विशेषज्ञों को अलर्ट मोड पर रखा गया है।
वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार भी लंपी की रोकथाम पर ध्यान दे रही है। केंद्रीय पशुपालन मंत्री परसोत्तम रूपाला का कहना है कि इस रोग की जड़ तक जाने के लिए काम शुरू हो चुका है। बीमार पशुओं पर शोध किया जाएगा। इसके साथ ही इस रोग के उपचार के तौर-तरीकों पर मंथन होगा, ताकि रोग को बड़़े पैमाने पर फैलने से रोका जा सके।
Health News: जानिए कहां पहली बार फैला इसका प्रकोप?
जानकारी के अनुसार लंपी का प्रकोप पहली बार 1929 में जांबिया में फैला था। इसके बाद 1943 में बोत्स्वाना और 1945 में जिम्बाबवे में इसके मामले मिले थे।इसके बाद ये यूरोप और एशिया तक पहुंच चुका है।
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