Health Centres: कोरोना काल के बाद देश में बेहतर स्वास्थ्य योजनाओं को ध्यान में रखकर बजट-2022 केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई घोषणाएं की थीं। बावजूद इसके अभी भी देश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है। पिछले वर्ष के बजट में देश में करीब 75 हजार अतिरिक्त ग्रामीण स्वास्थ्य
केंद्र खोले जाने थे।सभी जिलों में जांच केंद्र और 602 जिलों में क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल खोलने की भी योजना थी। बावजूद इसके योजना पूरी नहीं हो सकी। हर नागरिक के संपूर्ण पोषण को ध्यान में रखते हुए जल जीवन मिशन (अर्बन) भी लॉन्च होना था।पूरी तरह से योजना लागू नहीं हो सकी।

Health Centres: सेनीटाइजेशन पर फोकस नहीं
आजादी के अमृत काल में करीब 500 अमृत शहरों में सेनीटाइजेशन पर फोकस नहीं किया जाएगा।स्वच्छता के लिए करीब 2 लाख 80 हजार करोड़ रुपये खर्च किए।शहरी स्वच्छ भारत मिशन 2.0 पर अगले 5 सालों में एक लाख 41 हजार करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। इसके साथ ही 2 हजार करोड़ रुपये सिर्फ स्वच्छ हवा के लिए भी तय किए गए थे। बावजूद इसके योजना परवान नहीं चढ़ सकी।
Health Centres :कई स्वास्थ्य कार्यक्रम पूरे नहीं

राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक खुला मंच शुरू करने की योजना थी। जिसके तहत स्वास्थ्य प्रदाताओं और स्वास्थ्य सुविधाओं की डिजिटल रजिस्ट्रियां, विशिष्ट स्वास्थ्य पहचान, सहमति ढांचा और स्वास्थ्य सुविधाओं तक लोगों की पहुंच आसान करना था। इसके साथ ही राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम भी शुरू किया गया। लेकिन इन कार्यक्रमों का विस्तार उस तरीके से नहीं सका, जैसे किया जाना था।
बहुत से लोग इसका लाभ नहीं उठा सके। इसी कड़ी में कोरोना महामारी के दौरान लोगों में बढ़ती मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं पर भी फोकस किया जाना था। जहां मनोरोग डॉक्टर्स द्वारा लोगों को बेहतर मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और देखभाल सेवा प्रदान करना था। इसी के तहत ‘राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम’ भी शुरू किया गया।
कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार में कमी के चलते योजना उतनी सफल नहीं हो सकी, जितनी उम्मीद की जा रही थी।
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