भारतीय भाषाई पत्रकारिता में योगदान के लिए प्रो. (डॉ.) रामजीलाल जांगिड अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में होंगे सम्मानित

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दिल्ली के गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध दिल्ली मेट्रोपोलिटन कॉलेज प्रोफेसर (डा.) रामजीलाल जांगिड को भारतीय भाषाओं की पत्रकारिता और उसकी शिक्षा में उल्लेखनीय योगदान के लिए 16 और 17 अप्रैल 2025 को आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में सम्मानित करेगा। यह सम्मान उनकी दशकों की मेहनत और बहुमूल्य योगदान का प्रमाण है।

छह दशक से अधिक का समर्पित पत्रकारिता सफर

प्रोफेसर (डॉ.) जांगिड का पत्रकारिता और जनसंचार क्षेत्र में अनुभव छह दशकों से अधिक का है। वर्ष 1957 में जयपुर के महाराजा कॉलेज में बीएससी के छात्र रहते हुए उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में स्वतंत्र पत्रकारिता की शुरुआत की थी।

1968 से 1979 तक वह प्रमुख राष्ट्रीय दैनिक “हिंदुस्तान” से जुड़े रहे, और 1967 में दिल्ली की प्रसिद्ध विज्ञापन एजेंसी ‘इंटर एड’ में भी सेवाएं दीं।

वहीं 1961 से आकाशवाणी जयपुर से प्रसारण में भी सक्रिय भूमिका निभाई। 1964 में उन्हें राजस्थान साहित्य अकादमी ने ‘वर्ष का सर्वश्रेष्ठ लेखक’ घोषित किया।

भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता शिक्षा में योगदान

1976 में भारत में रंगीन टीवी के पहले दिन जी.टी.वी. पर उनका साक्षात्कार प्रसारित हुआ था। इसके बाद, 1979 में भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) द्वारा उन्हें पत्रकारिता शिक्षा के भारतीय भाषाओं में विभाग स्थापना के लिए आमंत्रित किया गया।

यहां उन्होंने 160 देशों के युवा पत्रकारों को प्रशिक्षण दिया और भारत की पांच प्रमुख भाषाओं – हिंदी, उर्दू, गुजराती, ओड़िया और मराठी में पत्रकारिता की शिक्षा देने का कार्य किया।

संस्थाओं की स्थापना और वैश्विक मंचों पर उपस्थिति

डा. जांगिड ने अब तक बीस से अधिक संस्थाओं की स्थापना की है और पत्रकारिता में नवाचार व सुधार के पक्षधर रहे हैं। उन्होंने चार हिंदी पत्रिकाएं और एक अंग्रेजी मासिक पत्रिका का संपादन व प्रकाशन भी किया।

1983 में नई दिल्ली में आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलन के जनसंचार सत्र की अध्यक्षता भी उन्होंने की थी। हाल ही में, 3 अप्रैल 2025 को बालाजी फाउंडेशन द्वारा उन्हें पत्रकारिता, शिक्षा में उत्कृष्ट योगदान के लिए ‘भारत शिक्षा सम्मान’ से सम्मानित किया गया था।

प्रो. जांगिड की जीवन यात्रा भारतीय भाषाओं की पत्रकारिता और जनसंचार के लिए एक प्रेरणा है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनका सम्मान यह दर्शाता है कि समर्पण, दूरदृष्टि और कर्मनिष्ठा से किसी भी क्षेत्र में वैश्विक पहचान हासिल की जा सकती है।