~वर्षा रानी
चिट्ठी न कोई संदेश जाने वो कौन सा देश जहां तुम चले गए, जी हां आज हम बात करेंगे ऐसी ही कुछ शख्सियतों की जो साल 2018 में सबकी आंखें नम कर हमें अलविदा कह गए और पीछे छोड़ गए अपनी यादें। इस साल हमने मनोरंजन जगत से लेकर साहित्य जगत तक कई दिग्गज हस्तियों को हमेशा के लिए खो दिया। इन हस्तियों ने अपने क्षेत्र में बेहतरीन काम किया, जो हमेशा याद रखा जाएगा। वो भले ही आज इस दुनिया में नहीं है, लेकिन लोगों के दिलों में वो हमेशा जिंदा रहेंगे। आइए जानते हैं उन हस्तियों के बारे में जो साल 2018 में दुनिया से रुखसत हो गए…
1. अटल बिहारी वाजपेयी (25 December 1924 – 16 August 2018,)
भारत रत्न, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 अगस्त 2018 को 93 साल की उम्र में दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में अंतिम सांसें लीं। वाजपेयी देश की राजनीति के सबसे करिश्माई और लोकप्रिय चेहरों में से एक हैं। वाजपेयी 3 बार पीएम चुने गए। पहली बार 1996 में उनकी सरकार महज 13 दिनों तक ही टिक पाई थी। 1977-1980 की जनता पार्टी की सरकार में वाजपेयी ने बतौर विदेश मंत्री भी काम किया है। इसी दौरान उन्होंने पहली बार संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण दिया। अटल जी के दिल में एक राजनेता से कहीं ज्यादा एक कवि बसता था। उनकी कविताओं का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोलता रहा है। हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा, काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूं, गीत नया गाता हूं… उनकी लोकप्रिय कविताओं में से एक है। वाजपेयी अपने भाषणों, कविताओं आदि के जरिए सबके दिलों में हमेशा बसे रहेंगे।
2. बॉलीवुड अभिनेत्री श्रीदेवी (13 अगस्त 1963 – 24 फ़रवरी 2018)
अपने शानदार अभिनय से दर्शकों के दिलों पर राज करने वाली बॉलीवुड एक्ट्रेस श्रीदेवी का निधन 24 फरवरी 2018 को हृदय-गति रुक जाने (कार्डिएक अरेस्ट) की वजह से उनका अचानक निधन हो गया। श्रीदेवी 54 साल की थीं। उन्हें हिंदी फिल्मों की पहली फीमेल सुपरस्टार भी कहा जाता है। साल 2013 में उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था। श्रीदेवी का जब निधन हुआ तो वह दुबई में थी। बॉलिवुड की ‘चांदनी’ के नाम से मशहूर श्रीदेवी ने अपने करियर की शुरुआत 1978 में आई फिल्म ‘सोलवां सावन’ से की थी, लेकिन बॉलिवुड में उनको पहली सफलता पांच साल बाद फिल्म ‘हिम्मतवाला’ से मिली। इसके बाद फिल्म ‘मवाली’, ‘तोहफा, ‘मिस्टर इंडिया’ और ‘चांदनी’ ‘सदमा, ‘चालबाज, ‘लम्हे, और ‘गुमराह’ जैसी फिल्मों से श्रीदेवी देशभर के लोगों दिलों पर राज करने लगीं। इसके बाद 2012 में आई ‘इंग्लिश विंग्लिश’ को उनकी कमबैक फिल्म माना जाता है। पिछले साल आई फिल्म ‘मॉम’ में उनके काम की काफी तारीफ हुई थी। निधन के 10 महीने बाद श्रीदेवी की हाल ही में रिलीज हुई शाहरुख खान की फिल्म जीरों में वह कैमियों रोल में नजर आई।
3. कवि गोपालदास नीरज (4 जनवरी 1925 – 19 जुलाई 2018)
पद्मभूषण से सम्मानित हिंदी के साहित्यकार, कवि, लेखक और गीतकार गोपालदास सक्सेना ‘नीरज’ का निधन 19 जुलाई 2018 को 93 वर्ष की उम्र में दिल्ली के एम्स में हुआ। बता दें कि उनकी कलम से निकले गीतों के लिए उन्हें तीन बार फ़िल्म फेयर पुरस्कार भी मिला। पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित 93 वर्षीय नीरज पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें भारत सरकार ने शिक्षा और साहित्य क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर दो-दो बार सम्मानित किया था। इटावा के रहने वाले नीरज ने कई बॉलीवुड फिल्मों के लिए गीत भी लिखे थे। नीरज की रचनाओं में दर्द दिया है, आसावरी, बादलों से सलाम लेता हूँ, गीत जो गाए नहीं, नीरज की पाती, नीरज दोहावली, गीत-अगीत, कारवां गुजर गया, पुष्प पारिजात के, काव्यांजलि, नीरज संचयन, नीरज के संग-कविता के सात रंग, बादर बरस गयो, मुक्तकी, दो गीत, नदी किनारे, लहर पुकारे, प्राण-गीत, फिर दीप जलेगा, तुम्हारे लिये, वंशीवट सूना है और नीरज की गीतिकाएँ शामिल हैं।
4. एम करुणानिधि (3 जून 1924 – 7 अगस्त 2018)
तमिलनाडु के पांच बार मुख्यीमंत्री रहे और ‘कलाईनार’ के नाम से मशहूर डीएमके के प्रेजिडेंट मुथुवेल करुणानिधि ने 7 अगस्त 2018 की शाम चेन्नैर के कावेरी हॉस्पिटल में 94 साल की अवस्थाह में अंतिम सांस ली। द्रविड़ आंदोलन की उपज एम करुणानिधि अपने करीब 6 दशकों के राजनीतिक करियर में ज्यादातर समय राज्यि की सियासत का एक ध्रुव बने रहे। वह 50 साल तक अपनी पार्टी डीएमके के प्रेजिडेंट रहे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी एम करुणानिधि तमिल भाषा पर अच्छीे पकड़ रखते थे। उन्होंमने कई किताबें, उपन्याास, नाटकों और तमिल फिल्मों के लिए संवाद लिखे। तमिल सिनेमा से राजनीति में कदम रखने वाले करुणानिधि करीब छह दशकों के अपने राजनीतिक जीवन में एक भी चुनाव नहीं हारे।
5. अजीत वाडेकर (01 अप्रैल 1941 – 15 अगस्त 2018)
पूर्व भारतीय टेस्ट कप्तान और पूर्व चीफ सिलेक्टर अजीत वाडेकर का 15 अगस्त 2018 को 77 साल की उम्र में निधन हो गया। बता दें कि वाडेकर अपने दौर के उम्दा लेफ्ट हैंडर बल्लेबाजों में शुमार थे। उन्होंने भारत के लिए 37 टेस्ट मैच और 2 वनडे मैच खेले। वाडेकर ने 1966 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ मुंबई में अपने टेस्ट करियर का आगाज किया था। 37 टेस्ट में उन्होंने 2113 रन बनाए, जिसमें 14 हाफ सेंचुरी और 1 शतक शामिल था। वाडेकर ने भा रत के लिए 2 वनडे मैच भी खेल। इनमें 1 फिफ्टी समेत उन्होंने कुल 72 रन बनाए। अपने दौर के वह 3 नंबर पर खेलने वाले उम्दा बल्लेबाज थे। इसके अलावा स्लिप पोजिशन पर फील्डिंग करने में उन्हें महारत हासिल थी। वह भारत के उम्दा स्लिप फील्डर्स में शुमार थे।
6. जैन मुनि तरुण सागर (26 June 1967 – 1 September 2018)
प्रसिद्ध जैन मुनि तरुण सागर ने 1 सितंबर 2018 को दिल्ली में शहादरा के कृष्णा नगर इलाके में अंतिम सांस ली। जिस समय उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा उस समय वह 51 साल के थे। मुनि तरुण सागर का जन्म साल 1967 में मध्यप्रदेश में हुआ था और उनका जन्म का नाम पवन कुमार जैन था। मुनिश्री ने 8 मार्च 1981 को घर छोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ में दीक्षा ली। 20 साल की उम्र में तरुण सागर जैन मुनि बन गए थे। तरुण सागर को उनके कड़वे प्रवचनों के लिए जाना जाता था। वे अपने अनुयायियों को जो प्रवचन देते थे उन्हें कड़वे प्रवचन कहते थे। इन प्रवचनों में तरुण सागर समाज में मौजूद कई बुराइयों की तीखे शब्दों में आलोचना करते थे। उनके प्रवचनों की किताब भी ‘कड़वे प्रवचन’ नाम से प्रकाशित की जाती है। तरुण सागर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का क़रीबी माना जाता था।
7. अनंत कुमार (22 जुलाई 1959 – 12 नवंबर 2018)
कर्नाटक में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने 12 नवंबर 2018 को बेंगलुरु के शंकरा अस्पताल में 59 वर्ष में दुनिया को अलविदा कहा। वह कुछ महीनों से फेफड़े के कैंसर से जूझ रहे थे। 22 जुलाई 1959 को जन्मे अनंत 1996 से बेंगलुरु साउथ लोकसभा सीट से सांसद थे। मोदी सरकार में उन्हें रसायन और उर्वरक मंत्रालय और संसदीय मामलों का मंत्री पद मिला। वह शुरुआत में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जुड़े और छात्र राजनीति से होते हुए बीजेपी में आए थे।
8. अभिनेत्री रीता भादुड़ी (4 November 1955- 17 July 2018)
बॉलीवुड की दिग्गाज अभिनेत्री रीता भादुड़ी का 17 जुलाई 2018 को 62 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। साल 1968 से वह फिल्म इंडस्ट्री में सक्रीय रहीं। रीता भादुड़ी ने 70 से 90 के दशक में कई बॉलीवुड फिल्मों में काम किया। ‘सावन को आने दो (1979)’ और ‘राजा (1995)’ समेत 70 से ज्यादा फिल्मों में उन्होंने अहम किरदार निभाया। वह टीवी इंडस्ट्री में काफी चर्चित रहीं और 30 से ज्यादा सीरियल से जुड़ीं। ‘साराभाई वर्सेज साराभाई’, ‘एक नई पहचान’, ‘कुमकुम’, ‘अमानत’ जैसे टीवी शोज में उन्होंने मां या दादी मां का किरदार निभाया। स्टार भारत के शो ‘निमकी मुखिया’ में रीता इन दिनों इमरती देवी का कैरेक्टर प्ले कर रही थीं। अपने पांच दशक के करियर में रीता ‘कभी हां कभी ना’, ‘क्या कहना’, ‘दिल विल प्यार व्यार’ और ‘मैं माधुरी दीक्षित बनना चाहती हूं’ जैसी फिल्मों में काम कर चुकी हैं। उन्होंने गुजराती फिल्मों में भी काम किया है।
9. केदारनाथ सिंह (7 July 1934 – 19 March 2018)
हिंदी के वरिष्ठ कवि केदारनाथ सिंह ने 86 साल की उम्र में लंबी बीमारी के बाद 19 मार्च को दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली। केदारनाथ सिंह नई कविता के अग्रणी कवियों में शुमार थे। केदारनाथ सिंह हिंदी कविता में नए बिंबों के प्रयोग के लिए जाने जाते हैं। उनकी कविताएं जटिल विषयों को सहज एवं सरल भाषा में व्यक्त करती हैं। 2013 में केदारनाथ सिंह की सेवाओं के लिए उन्हें साहित्य के सबसे बड़े सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, कुमारन आशान पुरस्कार, जीवन भारती सम्मान, दिनकर पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, व्यास सम्मान पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
10. फिल्म निर्देशक तुलसी रामसे (29 July 1944 – 14 December 2018)
हिंदी सिनेमा में हॉरर फिल्मों को अलग ढंग से पेश करने वाले निर्माता तुलसी रामसे का 14 दिसंबर 2018 को निधन हो गया है। उनकी उम्र 77 साल की थी। उन्होंने अपनी फिल्मों के जरिए डर के साथ हल्के-फुल्के अंदाज में रोमांस भी परोसा जो दर्शकों को खूब पसंद आया। 70 और 80 के दशक में रामसे ब्रदर्स ने कई हॉरर फिल्मों का निर्माण किया था। उनकी फिल्मों में ‘पुराना मंदिर’ ‘वीराना’ ‘दो गज जमीन के नीचे’ और ‘दरवाजा’ जैसी हॉरर फिल्में शामिल हैं। बता दें कि 70 के दशक में हॉरर फिल्मों का निर्माण करने से कई साल पहले 1954 में रामसे परिवार फिल्म निर्माण में उतर चुका था, लेकिन उस दौरान वे और तरह की फिल्में करते थे।
वहीं इनके अलावा साहित्यकार चंद्रशेखर रथ का 9 फरवरी, 2018 को, महिला फिल्म निर्माता प्रभाती घोष 11 फरवरी 2018 को और कांची कामकोटि पीठ के प्रमुख श्री श्री जयेंद्र सरस्वती शंकराचार्य का 28 फरवरी, 2018 को दुनिया को अलविदा कहा तो, तमिलनाडु और असम के पूर्व गवर्नर भीष्म नारायण सिंह का 1 अगस्त, 2018 को 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वहीं इंदिरा गांधी के पूर्व सचिव और नेता आर के धवन का 81 वर्ष की आयु में 06 अगस्त, 2018 को अंतिम सांस ली। बजाज इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड के निदेशक अंतत बजाज का 41 साल की आयु में 10 अगस्त 2018 को दुनिया से रुखसत हुए।
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी का 13 अगस्त, 2018 को, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलरामजी दास टंडन का 14 अगस्त, 2018 को निधन हो गया। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना का 82 साल की उम्र में 27 अक्टूबर, 2018 को निधन हो गया। दिग्गज नेता सीएन बालकृष्णन का 10 दिसंबर, 2018 और इतिहासकार मुशीरुल हसन ने 10 दिसंबर 2018 को अंतिम सांस ली।