आज पूरा विश्व कविता दिवस मना रहा है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य कविता के लेखन, प्रकाशन-अध्ययन और अध्यापन के साथ ही रचनात्मकता को विश्व भर में बढ़ावा देना है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1999 में पेरिस में हुए यूनेस्को के 30 वें अधिवेशन में ’21 मार्च’ को ‘विश्व कविता दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की गई थी।

वैसे आजकल के दौर में जब बात कविता और लेख की होती है तो जिक्र कॉपीराइट का भी होता है। किसी की कविता का बिना पूछे इस्तेमाल करने को लेकर कई विवाद सामने आ चुके हैं। इसी संदर्भ में देश में मौजूदा कॉपीराइट कानून को बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन ने भी बेकार बताया है।

बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन ने कॉपीराइट एक्ट 1957 के नियम पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने अपने ब्लॉग पर कॉपीराइट एक्ट के बारे में लिखते हुए इसे पूरी तरह से बकवास करार दिया है।

अमिताभ ने अपने ब्लॉग में लिखा, किसी भी रचानाकार का उसके साहित्य, ड्रामा और म्यूजिक पर सिर्फ 60 वर्ष नहीं बल्कि हमेशा के लिए हक होना चाहिए। ये नियम सिर्फ 60 सालों के लिए क्यों है? 61 साल के लिए क्यों नहीं? मेरी विरासत हमेशा मेरी ही रहेगी, इस पर किसी और का कभी हक नहीं होगा। ये असल में एक रचनाकार की विरासत होती है लेकिन 60 साल बाद ये आम जनता की हो जाएगी। Untitled 222Untitled22

बिग बी ने अपने ब्लॉग में लिखा है अपने पिता के वंशज के तौर पर उनकी रचनाओं पर जो अधिकार उनके पास हैं वह उनके निधन के 60 साल बाद नहीं रह जाएंगे। अब इसे दुनिया के हवाले कर दिया जाएगा, लोग इसे खरोंच सकते हैं, खराब भी कर सकते हैं, नष्ट कर सकते हैं और व्यावसायिक हित के लिए इसका इस्तेमाल भी कर सकते हैं। इससे बुरा हो सकता है, लेकिन इस पर मेरा कॉपीराइट है।

अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंशराय बच्चन ने कई सारी लोकप्रिय कविताएं रची हैं जिसे महानायक ने सहेजकर रखने के साथ कई बार मंच पर खुद पढ़कर सुनाया भी है।

देखा जाए तो देश में कॉपीराइट सामान्य प्रिंसिपल ऑफ लॉ पर आधारित है। कॉपीराइट एक्ट, 1957 में अब तक पांच बार संशोधन किया गया है। वर्तमान कॉपीराइट एक्ट, 1999 में संशोधित होकर 15 जनवरी 2000 से लागू हुआ है।

यह एक्ट अनुदाता को तय सालों के लिए अपनी रचना जैसे राइटिंग, फिल्म, म्युजिकल सामग्री आदि पर लीगल अधिकार देता है। जिसका कॉपीराइट होता है, वह अपनी राइटिंग या कृति को कॉपी कर सकता है, उसे बेच सकता है या फिर किसी भी तरह से इस्तेमाल कर सकता है। यह एक सामान्य कानून प्रिंसिपल पर आधारित है।