Haryana News: हरियाणा सरकार ने राज्य के विश्वविद्यालयों को अनुदान सहायता नहीं देने का निर्णय लिया है। इसके बदले ऋण देने की एक नई योजना शुरू करेगी। राज्य के विश्वविद्यालयों के शिक्षकों, छात्रों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के संघों ने इस कदम की घोर निंदा की और इसका विरोध करने का फैसला किया है।
हरियाणा फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स ऑर्गेनाइजेशन ने इस मामले पर चर्चा कर कार्रवाई के लिए रोहतक में एक तत्काल बैठक बुलाई थी।
एचएफयूटीओ के प्रमुख विकास सिवाच ने का कहना है कि हम छात्रों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ, हरियाणा के राज्यपाल-सह-कुलपति बंडारू दत्तात्रेय से मिलेंगे, जो रोहतक आने वाले हैं।
अनुदान को रोकने और विश्वविद्यालयों को ऋण देने का कदम पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
सिवाच ने कहा कि वे अपनी चिंताओं को व्यक्त करने के लिए मुख्यमंत्री से भी मिलेंगे और उक्त निर्णय को वापस लेने की मांग उठाएंगे। “सरकार को यह समझना चाहिए कि विश्वविद्यालय व्यावसायिक उद्यम नहीं हैं, जो पैसा कमाएंगे और ऋण चुकाएंगे। सरकार राज्य के विश्वविद्यालयों का निजीकरण करना चाहती है।
Haryana News: मुख्यमंत्री से मिलकर करेंगे चर्चा
हरियाणा फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख विकास सिवाच ने कहा कि अनुदान को रोकने और विश्वविद्यालयों को ऋण देने का कदम पूरी तरह से अस्वीकार्य है।सिवाच ने कहा कि वे अपनी समस्याओं को व्यक्त करने के लिए मुख्यमंत्री से भी मिलेंगे और उक्त निर्णय को वापस लेने की मांग करेंगे। हरियाणारियाणा फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख विकास सिवाच ने कहा कि अनुदान को रोकने और विश्वविद्यालयों को ऋण देने का कदम पूरी तरह से अस्वीकार्य है।सिवाच ने कहा कि वे अपनी समस्याओं को व्यक्त करने के लिए मुख्यमंत्री से भी मिलेंगे और उक्त निर्णय को वापस लेने की मांग करेंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार को यह समझना चाहिए कि विश्वविद्यालय व्यावसायिक उद्यम नहीं हैं, जो पैसा कमाएंगे और ऋण चुकाएंगे। यह कदम बताता है कि सरकार राज्य के विश्वविद्यालयों का निजीकरण करना चाहती है।
इस बीच, एनएसयूआई, एसएफआई जैसे छात्र संगठनों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के संघों ने भी इस कदम की निंदा की है। इसे तत्काल वापस लेने की मांग की है।विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी बिरादरी के सदस्यों द्वारा इस फैसले की निंदा की जा रही है।
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