अगर आपको CBSE 10वीं बोर्ड परीक्षा में साल में दो बार बैठने का मौका मिले और आपके सर्वोत्तम प्रदर्शन वाले स्कोर को ही फाइनल माना जाए! यह अब सिर्फ एक कल्पना नहीं, बल्कि हकीकत बनने जा रही है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 2026 शैक्षणिक सत्र से 10वीं कक्षा के लिए साल में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने की योजना तैयार कर ली है। बोर्ड ने इसके लिए एक मसौदा मानदंड को मंजूरी दे दी है, जिसे जनता की राय लेने के बाद लागू किया जाएगा।
अब सवाल यह उठता है कि ये परीक्षाएं कब आयोजित होंगी? स्कोर की गणना कैसे की जाएगी? क्या छात्रों को विषय बदलने का विकल्प मिलेगा? यदि दूसरी परीक्षा में अंक पहले से कम आते हैं तो कौन सा स्कोर गिना जाएगा? और आखिरकार, बोर्ड ने इस बदलाव को लागू करने का निर्णय क्यों लिया? आइए, इन सभी सवालों के जवाब जानें।
CBSE 10वीं बोर्ड परीक्षा: कब होंगी दोनों परीक्षाएं?
मसौदा नियमों के अनुसार, 2026 में पहली परीक्षा 17 फरवरी से 6 मार्च के बीच होगी, जबकि दूसरी परीक्षा 5 मई से 20 मई के बीच आयोजित की जाएगी। वर्तमान में, CBSE की परीक्षा लगभग 32 दिनों में पूरी होती है, लेकिन नए फॉर्मेट में दोनों परीक्षाओं को मिलाकर यह प्रक्रिया 34 दिनों में पूरी होगी।
हालांकि, इस बदलाव के कारण अब दो पेपरों के बीच गैप केवल एक या दो दिन का होगा, जबकि वर्तमान में यह अंतराल 5 से 10 दिनों तक रहता है। दोनों परीक्षाएं उन्हीं परीक्षा केंद्रों पर आयोजित की जाएंगी।
क्या दोनों परीक्षाएं देना जरूरी होगा?
यह छात्रों पर निर्भर करेगा कि वे दोनों परीक्षाएं देना चाहते हैं या सिर्फ एक। सितंबर 2025 में जब 10वीं बोर्ड परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन होगा, तब छात्रों को यह तय करना होगा कि वे एक या दोनों परीक्षाओं में शामिल होंगे। एक बार रजिस्ट्रेशन पूरा होने के बाद विषय बदलने या परीक्षा के लिए नामांकन में कोई बदलाव नहीं किया जा सकेगा।
पहली परीक्षा के परिणाम अप्रैल 2026 में जारी होंगे। जिन छात्रों ने दोनों परीक्षाएं देने का विकल्प चुना होगा, वे दूसरी परीक्षा में उन विषयों को फिर से दे सकते हैं जिनमें वे सुधार करना चाहते हैं।
दो परीक्षाओं के स्कोर कैसे गिने जाएंगे?
CBSE ने स्पष्ट किया है कि यह सेमेस्टर प्रणाली की तरह नहीं होगा, यानी दोनों परीक्षाओं में पूरे सिलेबस से सवाल पूछे जाएंगे। लेकिन अगर कोई छात्र दूसरी परीक्षा में किसी विषय में कम स्कोर करता है, तो उसकी पहले वाली परीक्षा के उच्चतम स्कोर को ही गिना जाएगा।
उदाहरण के लिए, अगर किसी छात्र ने पहली परीक्षा में गणित में 75 अंक प्राप्त किए और दूसरी परीक्षा में 72, तो अंतिम परिणाम में गणित के लिए 75 अंक ही जोड़े जाएंगे।
CBSE ने यह बदलाव क्यों किया?
CBSE के अनुसार, छात्रों पर परीक्षा का दबाव कम करने, कोचिंग निर्भरता को घटाने और मूल्यांकन प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाने के लिए यह बदलाव किया जा रहा है। बोर्ड का मानना है कि इससे छात्रों को अपनी क्षमताओं के अनुसार बेहतर प्रदर्शन करने का मौका मिलेगा और वे कम तनाव में परीक्षा दे सकेंगे।
फाइनल रिजल्ट कब जारी होगा?
पहली परीक्षा के नतीजे 20 अप्रैल 2026 तक घोषित किए जाएंगे। यदि कोई छात्र दूसरी परीक्षा नहीं देना चाहता, तो वह इन अंकों के आधार पर 11वीं कक्षा में प्रवेश ले सकता है। हालांकि, बोर्ड द्वारा पासिंग सर्टिफिकेट और अन्य जरूरी डॉक्यूमेंट्स दूसरी परीक्षा के बाद ही जारी किए जाएंगे। दूसरी परीक्षा का परिणाम 30 जून तक घोषित होने की उम्मीद है।
फाइनल निर्णय कब होगा?
फिलहाल यह केवल एक मसौदा (ड्राफ्ट) है और इसे लागू करने से पहले जनता की राय ली जाएगी। सुझावों के आधार पर इसमें बदलाव किया जा सकता है और फिर इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। CBSE जल्द ही इस पर आधिकारिक घोषणा कर सकता है।