हिंदुओं में आषाढ़ अमावस्या को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। हिंदू पंचांग पत्रिका के अनुसार आषाढ़ महीना हिंदू वर्ष का चौथा महीना होता है। इस दिन पवित्र नदियों, धार्मिक तीर्थ स्थलों पर स्नान करने लोग जाते है। इसके अलावा दान-पुण्य और पितरों की आत्मा को शांति के लिए किए जाने वाले अनुष्ठानों का यह समय सबसे अच्छा होता है। इस साल अमावस्या शुक्रवार, 9 जुलाई यानी आज है। जो जातक अमावस्या को पितृकर्म करना चाहते हैं आज पितृकर्म संपन्न करवाना चाहिए।
आषाढ़ अमावस्या का मुहूर्त
आषाढ़ अमावस्या 09 जुलाई को सुबह 05 बजकर 16 मिनट से लेकर 10 जुलाई को सुबह 06 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।
पितरों को कैसे करें प्रसन्न, जानें विधि
हिंदू धर्म में अमावस्या को पितरों की तिथि माना जाता है। यही कारण है कि इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए गाय के गोबर से बने उपले पर शुद्ध घी व गुड़ मिलाकर सुलगते देनी चाहिए.और फिर धूप में रख दें।
अगर यह संभव न हो तो घर में जो भी ताजा भोजन बना हो, उससे भी धूप देने से पितर खुश हो जाते हैं। धूप देने के बाद हथेली में पानी लें व अंगूठे के माध्यम से उसे धरती पर छोड़ दें। ऐसा करने से पितरों को तृप्ति का अनुभव होता है और वे हमें आशीर्वाद देते हैं. जिससे हमारे जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
कैसे दूर करें परेशानियां
अमावस्या के मौके पर भूखे प्राणियों को भोजन जरूर करायें इस दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद आटे की गोलियां बनाएं. गोलियां बनाते समय भगवान का नाम जपते रहें। इसके बाद समीप स्थित किसी तालाब या नदी में जाकर यह आटे की गोलियां मछलियों को खिला दें। इस उपाय को करने से आपके जीवन की परेशानियां खत्म जो सकती है, और चीटियों को शक्कर मिला हुआ आटा खिलाएं.ऐसा करने से आपके पाप कर्मों का प्रायश्चित होगा और अच्छे कामों के फल मिलना शुरू होंने लगेंगे। इसी से आपके मनोकामनाओं की पूर्ति होगी.
अमावस्या के पूजा करने की विधि
अमावस्या की रात को करीब 10 बजे नहाकर पीले रंग के कपड़े पहने इसके उत्तर दिशा की ओर मुख करके ऊन या कुश के आसन पर बैठे। अब अपने सामने पटिए या चौकी पर एक थाली में केसर का स्वस्तिक या ॐ बनाकर उस पर महालक्ष्मी यंत्र स्थापित करें। इसके बाद उसके सामने एक दिव्य शंख थाली में स्थापित करें। अब थोड़े से चावल को केसर में रंगकर दिव्य शंख में डाल दें।. घी का दीपक जलाकर नीचे लिखे मंत्र का कमल गट्टे की माला से ग्यारह बार माला की जाप करें-
मंत्र- सिद्धि बुद्धि प्रदे देवि भुक्ति मुक्ति प्रदायिनी।
मंत्र पुते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते। ।