कहा जाता है कि फिल्में समाज को आइना दिखाती हैं। फिल्मकार पर्दे पर वही दिखाते हैं जो समाज में हो रहा होता है। फिल्म अवतार भी उस उद्योगपति की कहानी है जिसमें दिखाया जाता है कि कैसे एक गरीब बाप अपनी मेहनत के बल पर वो मुकाम हासिल करता है। अपनी मेहनत और काबलियत के बल पर वो उन ऊंचाइयों को छू लेता है जहां हर कोई नहीं पहुंच पाता। लेकिन बेटे ने जो किया उससे उसका दिल टूट जाता है। फिल्म की यही कहानी अब निजी जिंदगी पर भी हावी हो रही है।
12 हजार करोड़ रूपए के मालिक, अकूत संपत्ति के बादशाह विजयपत सिंघानिया आज पैदल हो गए हैं या यूं कहें कि वो पाई-पाई के मोहताज हो गए हैं। कभी ब्रिटेन से अकेले प्लेन उड़ाकर भारत आने वाले और देश के बड़े अमीरों में शुमार, 12 हजार करोड़ रुपए और रेमंड ग्रुप के मालिक विजयपत सिंघानिया आज अपने बेटे की करतूत से शर्मिंदा हैं। कभी ऊंचे रसूख और ऊंची बिल्डिंग में रहने वाले सिंघानिया अब किराए के फ्लैट में रहने को मजबूर हैं। जिस बटे को ऊंगली पकड़ कर आगे बढ़ाया, चलना सिखाया, दुनिया की सारी सुविधाएं दी आज उसी बेटे ने अपने पिता को सड़क पर ला दिया है। एक मगरूर बेटे ने उस बाप को मजबूर कर दिया जो उसके हर सुख सुविधाओं का ख्याल रखता था, हर ख्याब को पूरा करता था। आज वहीं बेटा बूढ़े बाप का सहारा बनने की बजाय उसे बेसहारा कर दिया है। आज वही पिता बेटे के आगे मजबूर है।
हम विजय पत सिंघानिया के बेटे गौतम सिंघानिया की बात कर रहे हैं। अमीर घराने में पैदा हुए गौतम की करतूत अआज दुनिया के सामने है। जिस पिता ने आंख खोलते हुए प्लेन पर घुमाया होगा आज उसी बेटे ने पिता को पैदल कर दिया है। परिवार का झगड़ा अदालत की चौखट तक पहुंच गया है। पिता के संपत्ति को बेटा अपनी जागिर समझ रहा है।
बॉम्बे हाईकोर्ट मे जब यह मामला पहुंचा तो गौतम सिंघानिया का सच सबके सामने आया। आज वह पिता तंगी से जूझ रहा है जो कभी अरबों का मालिक था, जिसने अपने कलेजे के टुकड़े को अपना हजार करोड़ का शेयर इसलिए दे दिया कि वो बुढ़ापे में सहारा बनेगा। यहां तक कि बेटे गौतम ने वो सुख सुविधाएं भी छीन ली, जिनकम वो आदी थे। उनकी गाड़ी, ड्राइवर, घर तक से बेदखल कर दिया।
वो पिता जो अपने बेटे की गलतियों को नजरअंदाज करते रहें आज उसी बेटे ने अरबपति पिता को खाकपति बना दिया। इसलिए एक पिता को बेटे के खिलाफ अदालत तक न्याय मांगने के लिए आना पड़ा है।
आइए आपको बताते हैं विजयपत ने कैसे अपना एंपायर खड़ा किया और वह कैसे शिखर तक पहुंचे-
- विजयपत सिंघानिया का एविएशन और फिल्म इंडस्ट्री में तूती बोलता थी
- सूटिंग और शर्टिंग के लिए मशहूर रेमंड की नींव 1925 में रखी गई थी
- पहला रिटेल शोरूम 1958 में मुंबई में खुला
- टैक्सटाइल, इंजीनियरिंग और एविएशन के क्षेत्र में भी बहुत नाम कमाया
- 1980 में विजयपत ने कंपनी की कमान संभाली
- 1986 में प्रीमियम ब्रांड पार्क एवेन्यू लांच किया
- 1990 में ओमान में कंपनी का पहला विदेशी शोरूम खुला
- 1996 में देश में एयर चार्टर सर्विस शुरू की
1988 में लंदन से मुंबई तक अकेले हवाई उड़ान भरने वाले विजयपत अब पैदल हैं। पद्म भूषण से सम्मानित मजबूत इरादे वाले विजयपत आज बेटे की वजह से मजबूर हैं। क्या बड़े होने से किसी बेटे की एक पिता के प्रति जिम्मेदारी खत्म हो जाती है? क्या बूढ़े होने के बाद वे बेकार हो जाते हैं जिन्होंने जिंदगी में बेहिसाब बुलंदी हासिल की हो? क्या मां बाप इसी दिन के लिए बेटे को पालते हैं कि एक दिन उसका बेटा उसे बेसहारा कर देगा?
बेटे गौतम ने तो विजयपत के साथ न्याय नहीं किया पर अब देखना है कि अदालत से उन्हें कब न्याय मिलता है!
ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन