RBI की मौद्रिक नीति का रुख: क्या होता है Accommodative, Neutral और Tightening स्टांस? जानिए आसान भाषा में

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RBI की मौद्रिक नीति का रुख
RBI की मौद्रिक नीति का रुख

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने बुधवार को इस साल की दूसरी द्विमासिक नीति की घोषणा की। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने जानकारी दी कि रेपो रेट को 25 बेसिस पॉइंट घटाकर अब 6% कर दिया गया है, जो पहले 6.25% था। यह 2025 में दूसरी बार है जब रेपो रेट में कटौती की गई है — पहली बार फरवरी में कटौती की गई थी।

रेपो रेट में कमी सीधे तौर पर होम लोन, ऑटो लोन और अन्य पर्सनल लोन की ब्याज दरों को प्रभावित करती है। इसका सीधा लाभ आम उपभोक्ताओं को मिलेगा क्योंकि ईएमआई कम हो सकती है। इसके साथ ही, RBI ने मौद्रिक नीति का रुख भी ‘न्यूट्रल’ से बदलकर ‘अकॉमोडेटिव’ कर दिया है।

RBI कैसे तय करता है पॉलिसी स्टांस?

RBI की मौद्रिक नीति का रुख इस बात पर निर्भर करता है कि देश की आर्थिक स्थिति क्या कहती है — जैसे महंगाई दर, जीडीपी ग्रोथ, वैश्विक बाजारों की हालत और निवेश की स्थिति। आमतौर पर, RBI तीन तरह के रुख अपनाता है —

  1. अकॉमोडेटिव स्टांस (Accommodative Stance)

इस स्थिति में RBI संकेत देता है कि भविष्य में ब्याज दरों में और कमी की जा सकती है या वे दरें लंबे समय तक कम स्तर पर बनी रह सकती हैं। यह कदम तब उठाया जाता है जब देश को आर्थिक सहारा देने की जरूरत हो, खासकर तब जब महंगाई काबू में हो लेकिन ग्रोथ की रफ्तार धीमी पड़ रही हो। इस नीति के जरिए बैंक लोन सस्ते होते हैं और मांग में इजाफा होता है।

  1. न्यूट्रल स्टांस (Neutral Stance)

न्यूट्रल नीति तब अपनाई जाती है जब RBI दरों को घटाने या बढ़ाने, किसी भी दिशा में तत्काल कोई फैसला नहीं लेना चाहता। इसका मकसद होता है आर्थिक परिस्थितियों का मूल्यांकन करना और आगे की दिशा तय करने के लिए लचीलापन बनाए रखना। यानी RBI किसी भी स्थिति में तेजी से प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार होता है।

  1. कैलिब्रेटेड टाइटनिंग (Calibrated Tightening / Hawkish Stance)

यह रुख तब सामने आता है जब महंगाई का दबाव बढ़ रहा हो और दरों को बढ़ाने की संभावना बन रही हो। हालांकि, RBI तुरंत दरें नहीं बढ़ाता, लेकिन यह संकेत देता है कि दरें अब घटेंगी नहीं। यह रुख तब जरूरी होता है जब तेल की कीमतों में तेजी, विदेशी निवेश में गिरावट, या रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रहा हो।

क्यों मायने रखता है RBI का रुख?

RBI का नीति रुख न सिर्फ अर्थव्यवस्था के लिए, बल्कि आम लोगों के लिए भी अहम है। इससे यह समझने में मदद मिलती है कि आने वाले समय में ब्याज दरों में क्या बदलाव हो सकते हैं — जिससे होम लोन, कार लोन, निवेश और बाजार की चाल प्रभावित होती है।

इसलिए हर बार जब RBI अपनी मॉनिटरी पॉलिसी पेश करता है, तो यह जानना जरूरी हो जाता है कि उसका स्टांस क्या है — क्योंकि यही संकेत देता है कि देश की अर्थव्यवस्था किस ओर जा रही है।