वर्ल्ड बैंक की सीइओ ने हाल ही में प्रधानमंत्री के नोटबंदी फैसले को सराहा था और कुछ दिन पहले जारी आकड़ों में भी भारत की ग्रोथ रेट 7.1 मापी गई लेकिन आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने कहा कि आने वाले समय में नोटबंदी का असर जीडीपी पर पड़ सकता है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल वी. आचार्य का कहना है कि नोटबंदी का प्रभाव मौजूदा जनवरी-मार्च तिमाही में कुछ सेक्टर में संभव है। आचार्य का मानना है कि टू व्हीलर जैसे कुछ सैक्टर ऐसे हैं जिनमें नोटबंदी का असर अभी भी हो रहा है। आरबीआई के डिप्टी गर्वनर ने कहा कि फाइनली कैश की कमी नकदी के झटके की तरह से है। नोटबंदी से बड़े पैमाने पर संपत्ति का नुकसान नहीं हुआ, लेकिन प्रभाव थोड़े समय के लिए होगा। मैं यह नहीं कह रहा कि ये अस्थायी असर अर्थव्यवस्था के कुछ हिस्सों पर कठोर नहीं पड़ा है, पर आप उम्मीद कर सकते हैं कि असर अस्थायी ही रहेगा।
विरल वी. आचार्य ने कहा कि भारतीय बाजारों नए नोटों को जल्द से जल्द पहुंचाने का काम काफी तेजी से चल रहा है। हमने काफी हद तक सफर तय कर लिया लेकिन अभी कुछ सफर तय करना बाकी है। आचार्य ने कहा कि दो से तीन महीने में चलन में नोट की कमी पूरी तरह से खत्म हो जाएगी, लेकिन कैश पहले की तुलना में कम रहेगा। जीडीपी अनुमानों के बारे में आचार्य ने कहा कि हमारी मॉनिटरिंग पॉलिसी के अनुमान सरकार के अनुमानों के काफी पास है। आचार्य ने कहा कि यकीनन इकॉनॉमी को बूम देने वाले सेक्टर अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन मेरा मानना है कि लोगों ने कुछ एक बातें अच्छी उठाई हैं और उन पर विचार किया जा सकता है। इनमें से एक मुद्दा यह है कि ऑर्गनाइज्ड सेक्टर से कनेक्शन के आधार पर अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर को लेकर कितना बड़ा अनुमान लगाया जा सकता है।