गिग और स्थायी कर्मचारियों के बीच अब भी बरकरार है वेतन का अंतर — रिपोर्ट में खुलासा

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भारत में गिग इकॉनमी के तेजी से बढ़ते प्रभाव के बावजूद गिग और स्थायी कर्मचारियों के बीच वेतन का असमान अंतर खत्म नहीं हुआ है। एक हालिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि लगभग 47 प्रतिशत पेशेवरों का मानना है कि गिग कर्मचारियों को उनके स्थायी समकक्षों की तुलना में कम भुगतान किया जाता है।

त्योहारी सीजन में मांग बढ़ी, लेकिन वेतन अंतर कायम

त्योहारों के दौरान डिलिवरी, लॉजिस्टिक्स और ई-कॉमर्स जैसे सेक्टरों में गिग वर्कर्स की मांग में जबरदस्त उछाल आया है। इसके बावजूद, रिपोर्ट बताती है कि इन कर्मियों को अब भी स्थायी कर्मचारियों की तुलना में कम भुगतान और सीमित सुविधाएं मिल रही हैं।

सर्वे में शामिल पेशेवरों से जब पूछा गया कि समान भूमिका में गिग या फ्रीलांस कर्मचारियों का प्रति घंटे वेतन कितना कम होता है, तो:

  • 11% ने कहा कि यह अंतर 10% तक है,
  • 23% ने बताया कि यह 10–25% के बीच है,
  • जबकि, 13% ने माना कि यह अंतर 25% से अधिक है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

यह सर्वे 1 से 30 सितंबर 2025 के बीच 1,550 पेशेवरों पर आधारित है, जो विभिन्न उद्योगों में कार्यरत हैं। रिपोर्ट को कार्यबल स्टाफिंग और मानव संसाधन समाधान प्रदाता कंपनी ने तैयार किया है।

कंपनी का बयान

जीनियस एचआरटेक के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक आर. पी. यादव ने रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “त्योहारों की अर्थव्यवस्था काफी हद तक गिग कर्मचारियों के योगदान पर टिकी है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि वे अब भी असमान शर्तों पर काम कर रहे हैं। ‘समान काम के लिए समान वेतन’ का सिद्धांत सिर्फ स्थायी कर्मचारियों तक सीमित नहीं रहना चाहिए।”

गिग इकॉनमी का बढ़ता प्रभाव

भारत में गिग वर्कर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है, खासकर ई-कॉमर्स, फूड डिलिवरी, ट्रांसपोर्ट, वेयरहाउसिंग और सर्विस सेक्टर में। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र के विकास के साथ-साथ न्यायसंगत वेतन और सामाजिक सुरक्षा नीतियों की जरूरत और भी बढ़ गई है।

यह खबर ‘भाषा’ समाचार एजेंसी से ऑटो-फीड के माध्यम से प्राप्त किया गया है। इसकी सामग्री के लिए APN News जिम्मेदार नहीं है।