प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके सरकार ने काले धन को जड़ से खत्म करने का मन बना लिया है। शायद इसलिए सरकार ने नोटबंदी के बड़े फैसले के बाद एक और बड़ा फैसला लिया है। इस बार केंद्र सरकार मनी लॉन्ड्रिंग पर नकेल कसने की तरफ कदम बढ़ाया। दरअसल, केंद्र सरकार ने ऐसी कागज़ी कंपनियां जो सिर्फ कागज पर मौजूद है और मनी लॉन्ड्रिंग के अलावा कोई दूसरा काम नहीं करती। इन कंपनियों की वजह से लोगों को काला-धन छुपाने और उसमें हेर-फेर करने में मदद मिलती है।
पीएमओ ने केंद्र सरकार के अलग-अलग विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठकर शैल कंपनियों के खिलाफ कठोर कदम उठाने की योजना बनाई। प्रधानमंत्री कार्यालय में इस बैठक में शैल कंपनियों को पूरी तरह से खत्म करने के लिए रेवेन्यू सेकेट्री की अध्यक्षता में टास्क फोर्स बनाने का एलान किया गया। यह टास्क फोर्स देश के सभी कागजी कंपनियों के खिलाफ की जाने वाली कार्यवाई पर नज़र रखेगा।
कागजी कंपनियां ऐसी कंपनियां होती है जिनका इस्तेमाल काला धन को सफ़ेद करने में किया जाता है। ऐसी शैल कंपनियां कागजों पर तो होती है पर ये केवल मनी लॉन्ड्रिंग का ही काम करती है। नोटबंदी के बाद लोगों ने अपने काले धन को ठिकाने लगाने और उसे सफ़ेद करने के लिए ऐसी ही शैल कंपनियों का जम कर इस्तेमाल किया। सरकारी अनुमान के मुताबिक भारत में 15 लाख शैल कंपनियां पंजीकृत हैं पर मात्र 6 लाख कंपनियां ही रिटर्न फाइल करती हैं। देशभर में शैल कंपनियों के खिलाफ चल रही कार्यवाई में खुलासा हुआ है कि नोटबंदी के बाद इन कंपनियों में 1238 करोड़ रुपये जमा की गई है।
शैल कंपनियों के खिलाफ शुरु हुई कार्यवाई:
- सीरिर्यस फ्रौड इनवेस्टीगेशन ने 559 कंपनियों के खिलाफ केश दर्ज किया, इन कंपनियों देशभर के 54 कारोबारियों की मदद से 3900 करोड़ के काले धन को सफ़ेद किया है।
- केंद्र सरकार ने इस खुलासे की जानकारी SIT, IT, ED, SEBI समेत ICAI को दे दी है।
- आयकर विभाग ने इन मामलों की जांच शुरु कर दी है।
- ICAI ने भी ऐसी कर्मचारी जो काले-धन को सफेद करने का काम करती है उनके खिलाफ अनुशासात्मक कार्यवाई शुरु कर दी है।
- सरकार ने बेनामी एक्ट के तहत ऐसी 49 शैल कंपनियों को बंद कराने का काम भी शुरु कर दिया है।
- ऐसी कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाई की जाएगी और उनके बैंक खाते भी जब्त किए जाएंगे।