आपदा प्रबंधन तथा राहत व पुनर्वास विभाग के सचिव ने हलफनामा दायर कर बॉम्बे हाईकोर्ट को यह जानकारी दी है कि कोरोना संकट के चलते पाबंदियों के साथ भी फेरीवालो को फिलहाल कारोबार करने की इजाजत नहीं दी जा सकती हैं।
हलफनामे में कहा गया है कि राज्य के शहरीय व ग्रामीण इलाकों में भी तेजी से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे में पाबंदियों के साथ भी फेरीवालों को अपना कारोबार करने की इजाजत फिलहाल नहीं दी जा सकती। क्योंकि फेरीवाले असंगठित क्षेत्र में आते हैं इसलिये पाबंदियों को लागू करना बेहद मुश्किल है। इनकी तुलना होटल व रेस्टोरेंट से नहीं कि जा सकती है। लॉकडाउन के चलते राज्य के कई कारोबारों को काफी घटा झेलना वैसे भी पड़ा है।
हलफनामे में कहा गया है कि वर्तमान में पुलिस व स्थानीय निकाय के कर्मचारियों पर काम का अत्यधिक बोझ है। जो फेरीवालों पर लगाई जाने वाली पाबंदियों पर नजर नहीं रख पाएंगे क्योंकि पुलिस व स्थानीय निकाय के कर्मचारी लॉकडाउन के निर्देशों को लागू कराने की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं। इसलिए यदि पाबंदियों के साथ भी फेरीवालों को कारोबार की इजाजत दी जाती है तो उन पाबंदियों पर नजर रख पाना मुश्किल है। लिहाजा मौजूदा समय में सरकार की मंशा फेरीवालों को प्रतिबंधित व गैर प्रतिबंध लगाया क्षेत्र कारोबार करने देने की नहीं है।
फेरीवालों के मुद्दे को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता मनोज ओसवाल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है।याचिका में दावा किया गया है कि लॉकडाउन के चलते फेरीवालो के सामने जीविका का बहुत बड़ा संकट खड़ा है। इसलिए राज्य सरकार को फेरीवाले के जीविका के लिए नीति बनाने का निर्देश दिया जाए। पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब देने के लिए आखिरी मौका दिया था।