देश में कर्जमाफी की मांग को लेकर किसान आंदोलनरत हैं। यूपी में हाल में हुए चुनावों के बाद अपना वादा पूरा करते हुए बीजेपी सरकार ने किसानों की कर्जमाफी का ऐलान क्या किया इसकी गूंज दूसरे राज्यों में सुनने को मिल रही है। तमिलनाडु, पंजाब और अब महाराष्ट्र में किसान अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं। महाराष्ट्र में किसानों ने टैंकर में दूध भरकर सड़कों पर बहा दिया। राज्य सरकार से बातचीत नाकाम होने के बाद महाराष्ट्र के किसानों ने फैसला किया है कि वो सब्जी और दूध बाजार में नहीं बेचेंगे। अब सवाल य उठ रहे हैं कि कर्जमाफी को लेकर लगातार उठ रही मांगों पर सरकार का अगला कदम क्या होगा।

गुरुवार 1 जून को एपीएन न्यूज के खास कार्यक्रम मुद्दा में दो अहम विषयों पर चर्चा हुई। इसके पहले हिस्से में किसानों की कर्ज माफी के मुद्दे पर चर्चा हुई। इस अहम मुद्दे पर चर्चा के लिए विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। इन लोगों में गोविंद पंत राजू (सलाहकार संपादक एपीएन), सुरेन्द्र नाथ द्विवेदी ( प्रवक्ता आरएलडी), आनंद शाहू ( नेता बीजेपी) दुष्यंत शर्मा ( नेता कांग्रेस) शामिल थे।

सुरेन्द्र नाथ द्विवेदी ने कहा कि बीजेपी के लोगों के साथ एक जुमला बहुत फीट बैठता है कि हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और होते हैं। बीजेपी के पास माइक पर बोलने के लिए दूसरी बात होती है और आंतरिक मुद्दो पर दूसरी बात होती है। एक तरफ ये कह रहे थे कि हम किसानों का पूरा कर्ज माफ करेंगे जब माफ करने की बात आयी तो कह दिया कि लघु एवं सीमांत किसानों का माफ करेंगे। उसमें भी 36 हजार करोड़ माफ करने की बात कही है जो गलत आंकड़ा है।

गोविंद पंत राजू ने कहा कि सरकार की नियत अच्छी हो तो पैसा आ जाता है। अगर सरकार की नियत अच्छी होगी तो सरकार बजट का इंतजाम कर लेगी। सरकार ने कहा भी कि हम अपने खर्चों में कटौती करके इस पैसे का इंतजाम करेगें। केन्द्र सरकार ने तब भी और अब भी यह बिल्कुल साफ कर दिया है कि वो किसी तरह की मदद इस कर्जे में नही करेंगे। अब दूसरे राज्यों के किसानों को ये लगा कि शायद यूपी में बहुत बड़ा बदलाव आ गया है और उनके राज्य में भी होना चाहिए।

दुष्यंत शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार ने घोषणा किया। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में घोषणा किया। अभी केन्द्रीय मंत्री ने कह दिया कि हमारे पास ऐसा कोई प्रावधान नही है। किसानों के साथ धोखेबाजी हो रही है।

 आर-पार के मूड में भारतीय सेना

कश्मीर में जहां सेना ने आर-पार की लड़ाई का मूड बना लिया है वहीं आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन में वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गयी है। इससे पहले हिजबुल कमांडर मूसा ने हुर्रियत के नेताओं को भी पुरे मामले में राजनीति करने से चेताया था। वहीं दूसरी ओर सीमा पार से  पाकिस्तान लगातार कश्मीर के हालात को अस्थिर करने की तमाम कोशिशे जारी रखे हुए है। कश्मीर के हालात को स्थिर करने के लिए सरकार और सेना ने कई अहम कदम उठाये है लेकिन अब भी कुछ ठोस कार्यवाई की जरुरत है।

इसके दूसरे हिस्से में कश्मीर के हालात के मसले पर चर्चा हुई। इस अहम मुद्दे पर चर्चा के लिए भी विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। इन लोगों में गोविंद पंत राजू, दुष्यंत शर्मा, आनंद शाहू, व ऐ के बख्शी (रि0 ले0 ज0 रक्षा विशेषज्ञ) शामिल थे।

 

आनंद शाहू ने कहा कि सरकार ने वहां की बिमारी को बहुत ही अच्छे से पहले अध्ययन किया और उसके बाद ईलाज शुरु हो गया है। वहां की बिमारी ये है कि पैसे की कमी नही है वहां के लोगों को वहां के गांव में अच्छे मकान है जो यहां शहरों में भी नही होगें। अगर इन आतंकवादियों को वहां पृथक करना है तो वहां के लोगों को सुरक्षित महसूस करायें अंदर से की वो यहां सुरक्षित हैं चाहे ये आंतकवादी कितना भी धमका लें।

दुष्यंत शर्मा ने कहा कि कश्मीर के विषय पर देश की जनता और यहां की सरकार एकमत रही है। जब भी विपक्षी पार्टी का नेता कुछ बोलेगा तो बोलेंगे ही कि राजनीत से प्रेरित है। लेकिन अगर वहां पर कोई शांती व्यवस्था की बात आ रही है तो वहां पर कोई भी पार्टी हो उसमें समर्थन करना चाहिए।

ऐ के बख्शी ने कहा कि समय आ गया है कि जो मासूम नागरिक हैं और जो पत्थरबाज और उनकी सहायता करने वाले हैं उनको अलग-अलग किया जाये और इनके खिलाफ कार्यवाई की जाये। पाकिस्तान और हुरियत को अलग किया जाये और वहां पर विकास किया जाये वहां के हालात ठीक करने का सबसे बेहतर उपाय है।

गोविंद पंत राजू ने कहा कि कश्मीर में ये बात बिल्कुल सही है कि जो वहां की आबादी है 50 फीसदी से ज्यादा लोग ऐसे हैं जो पूरी तरह से शांति से जीना चाहते हैं जो भविष्य की चिन्ता करते हैं। अपने परिवार के बारे में चिन्ता करते हैं और भारत के साथ आत्मसात करके रहना चाहते हैं। ऐसे लोगों की आवाज को हम कैसे मजबूत करें ये प्रयास होना चाहिए।

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