उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में नए कामकाज का आगाज होने जा रहा है। जहां भारतीय जनता पार्टी ने यूके की बागडोर त्रिवेंद्र सिंह रावत के हाथो में सौप दी है, वहीं दूसरी तरफ यूपी में मनोज सिन्हा व योगी आदित्यनाथ के नाम पर कयासों का दौर जारी है। मनोज भले ही खुद को सीएम दावेदारी के रुप में अपने नाम को नहीं बताते लेकिन हाल ही में उन्होंने वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर, काल भैरव मंदिर और संकटमोचन के दर्शन पूजन किया है। दोनों ही राज्यों में बीजेपी ऐतिहासिक बहुमत के साथ सत्ता में आई हैं। जिसके चलते दोनों राज्यों की जनता की अपेक्षाएं नए सीएम से काफी जुड़ चुकी हैं। भले इस जीत के पीछे का कारण पार्टीं अध्यक्ष अमित शाह और पीएम मोदी का चेहरा रहा, लेकिन इस चुनाव में जनता ने विकास के मुद्दों को भी लपेटा है।
दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी हमेशा मिनिमम और मैक्सीमम गवर्नमेंट पर जोर देते रहे, लेकिन क्या यूपी और यूके की सरकार भाजपा के इस नजरिए पर राजकाज चला पाएगी। क्योकि यूके के लिए भष्ट्राचार, बेरोजगारी, पहाड़ से पलायन और पर्यटन में आई गिरावट एक बड़ा सवाल है।
इसी खास पेशकस को लेकर एपीएन के स्टूडियों में आज के इस मुद्दे ”पहले से कितना अलग होगा कामकाज? और बदलती सरकार की बदलती तस्वीर” पर चर्चा की गई। इस मुद्दे पर अपने मतों को रखने के लिए अलग अलग क्षेत्र के कुछ खास विशेषज्ञों को शामिल किया गया। जिसमें चंद्रभूषण पांडे (नेता, बीजेपी), रविदास मेहरोत्रा (नेता, सपा), कृष्णकांत पांडे (प्रवक्ता, कांग्रेस) और गोविन्द पंत राजू (सलाहकार संपादक, APN) रहें। शो का संचालन एंकर हिमांशु दीक्षित ने किया।
चंद्रभूषण पांडे का मानना है कि लोकतंत्र में जनभावनाओं के हिसाब से सरकार चलाना सबसे आसान होता है लेकिन परेशानियां वहां खड़ी होती है, जब सरकार जनमत के खिलाफ हो जाती हैं। रही बात उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने कि तो भाजपा ने चुनाव प्रचार प्रसार में जैसा कहा उन बातों पर खरा उतरकर दिखलाएगी और एक साफ सुथरे सीएम के चेहरे को संवैधानिक रुप से जनता के समक्ष लाएगी।
दूसरी तरफ यूके को लेकर उन्होंने कहा कि त्रिवेंद्र सिंह रावत पूर्व कृषि मंत्री रह चुके है जिससे चलते वह यूके को पुन: देवों की धरती के रुप में स्थापित करने में सक्षम होंगे।
रविदास मेहरोत्रा का मानना है कि सपा सरकार ने कई ऐसे काम किए जिसे अब बीजेपी सरकार आगे बढ़ाएगी। साथ उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि ”यूपी में हार का जिम्मेदार गठबंधन सरकार रही। गठबंधन में कांग्रेस पार्टी हमें जिताने के लिए नहीं बल्कि हराने के लिए साथ जुड़ी थी।“
कृष्णकांत पांडे का मानना है कि बीजेपी को जितना प्रचंड बहुमत यूपी की जनता से मिला है सरकार को उसका अंदाजा भी नहीं था। हमारी शुभकामनाएं नई सरकार के साथ है, अगर वह यूपी में कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने में सक्षम हुए तो अच्छी बात है वरना बीजेपी अपने पतन की ओर अग्रसर हो जाएगी। साथ ही उन्होंने सपा नेता पर तंज कसा कि ”अगर गठबंधन से सपा की हार हुई है तो सपा के 5 वर्षो के कार्यकाल हमें ले डूबी।”
गोविन्द पंत राजू का मानना है कि उ. प्र. के चुनाव को 2019 के लोकसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा सकता है। चुनौतियां अगर यूपी को बेहतर करने की है तो इनपर बात करना जरा जल्दबाजी होगी। क्योकि किसी भी समस्या का समाधान जादू की छड़ी घुमाकर नहीं किया जा सकता है। सरकार की प्रथमिकता होगी कि ज्यादातर युवाओं को रोजगार देकर उन्हे देश-विदेश जाने से रोक सके। जिसके लिए लंबी दीर्घकालीन योजनाओं की जरुरत होगी।