Wrinkles रोकने वाला बोटॉक्स इंजेक्शन (Botox Injection) कोविड होने से रोक सकता है। यह दावा फ्रांस के शोधकर्ताओं (France Researchers) ने अपनी रिसर्च में किया है। शोधकर्ताओं का कहना है, कि पिछले साल जुलाई में बोटॉक्स का इंजेक्शन लेने वाले करीब 200 मरीजों पर रिसर्च की गई। जिसमें सामने आया कि मात्र 2 लोगों में ही कोरोना (Corona) के लक्षण दिखे। फ्रांस के मॉन्टिपेलियर यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल (Montpellier University Hospital of France) के वैज्ञानिकों का कहना है, कि बोटॉक्स इंजेक्शन कोरोना से बचाने में मदद कर सकता है। इस पर और रिसर्च किया जा रहा है।
कैसे रोकता है कोरोना
शोधकर्ताओं का कहना है, कि इस इंजेक्शन में एसिटिलकोलीन केमिकल (Acetylcholine Chemical) होता है। जिसके कारण मांसपेशियां सिकुड़ती हैं, और झुर्रियां दिखती हैं। बोटॉक्स इंजेक्शन इसी केमिकल को बढ़ने से रोकता है। और मांसपेशियों को रिलैक्स करता है। रिसर्च में दावा किया गया है कि कोरोनावायरस इसी एसिटिलकोलीन केमिकल के साथ जुड़कर कोशिकाओं को संक्रमित करता है। बोटॉक्स इंजेक्शन इसी केमिकल को कंट्रोल करता है, इसलिए यह कोविड से भी बचा सकता है।
क्यों करवाते हैं बोटॉक्स ट्रीटमेंट ?
बोटॉक्स ट्रीटमेंट में एक इंजेक्शन से दवा उस हिस्से में लगाई जाती है, जहां पर झुर्रियां होती हैं। इंजेक्शन में बॉटुलिनम नाम का टॉक्सिन होता है जो मांसपेशियों को खराब करने वाले एसिटिलकोलीन की शरीर में मात्रा बढ़ने से रोकता है। यह अकड़ी हुईं मांसपेशियों को रिलैक्स करता है और झुर्रियां दूर हो जाती हैं।
आपकों बता दें कि बोटॉक्स इंजेक्शन का इस्तेमाल कई बीमारियों में भी किया जाता है। जैसे- माइग्रेन के मरीजों में यह इंजेक्शन लगने पर उनकी मांसपेशियों को आराम मिलता है। ब्रिटेन में करीब 10 लाख लोग हर साल बोटोक्स ट्रीटमेंट लेते हैं। स्टोमेटोलॉजी जर्नल में पब्लिश इस रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक अध्ययन में शामिल लोगों में से किसी को भी हॉस्पिटल में भर्ती नहीं किया गया।
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