देशभर में आज भगवान शिव के पावन पर्व महाशिवरात्रि को धूमधाम से मनाया जा रहा है। देश के अलग-अलग शिवालयों में आज सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखी जा रही है। वाराणसी हो या उज्जैन, रामेश्वरम हो या वैधनाथ धाम देश के सभी शिव मंदिरों में भगवान शिव की अराधना करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ लगी हुई है। भक्त हर-हर महादेव और बम-बम भोले के जयकारा लगा कर भगवान शंकर की जल, बेलपत्र, दूध आदि वस्तुएं चढ़ा कर पूजा कर रहे हैं।
लोगों का मानना है कि महाशिवरात्रि पर्व का काफी महत्व है, इस दिन भगवान शिव ने माता सती से विवाह किया था, इसलिए देशभर के कई शिव मंदिरों में भक्त शिवजी की बारात निकालते हैं और माता सती से उनके विवाह का एक नाटकीय रूपांतरन करते हैं। पीएम मोदी ने शिवरात्रि के दिन सुबह-सुबह ट्वीट कर लोगों को शुभकामनाएं दी।
महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व पर देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं।
— Narendra Modi (@narendramodi) February 24, 2017
इस बार शिवरात्रि के पावन अवसर पर पीएम मोदी कोयंबटूर के ईशा योग केंद्र में भगवान शिव के 112 फुट ऊंचे चेहरे का अनावरण करेंगे। तमिलनाडु के कोयंबटूर में महाशिवरात्रि महोत्सव शाम 6 बजे शुरू होगा। इस कार्यक्रम के जरिये पीएम मोदी दुनिया भर में महायोग यज्ञ की शुरूआत करेंगे।
पीएम के इस अनोखे कार्यक्रम का मक्सद है कि आने वाले साल में 10 लाख लोग योग के एक सरल तरीके को कम से कम 100 लोगों को सिखाएं ताकि अगली शिवरात्रि तक कम से कम 10 करोड़ लोग योग को अपना लें। इस कार्यक्रम का प्रसारण 7 अलग-अलग भाषाओं में 23 सैटेलाइट टीवी चैनल्स के जरिए होगा जिसे करीब 5 करोड़ लोग देखेंगे।
शिव जी की विशाल प्रतिमा से जुड़ी खास बातें:
- भगवान शिव के इस विशाल चेहरे को सद्गुरू जग्गी वासुदेव ने डिजाइन किया है।
- पहली बार दुनिया में भगवान शंकर की 112 फीट की प्रतिमा बनी है, जिसमें सिर्फ उनका चेहरा है।
- ईशा फाउंडेशन के मुताबिक यह प्रतिष्टित चेहरा मुक्ति का प्रतीक है।
- 112 फीट की यह प्रतिमा उन 112 मार्गों को दर्शाता है, जिनसे इंसान योग विज्ञान के जरिए अपनी परम प्रकृति को प्राप्त कर सकता है।
- इस प्रतिमा को तैयार करने में करीब ढाई साल का समय लगा।
- इस प्रतिमा को स्टील और धातुओं के टुकड़ों से बनाया गया है।
- प्रतिमा का वजन 500 टन है
- दुनिया की किसी प्रतिमा में पहली बार बड़े खास तरीके से नदी भी तैयार की गई है।
- नदी की प्रतिमा को तिल के बीज, हल्दी, भस्म और रेत-मिट्टी से भरकर बनाया गया है।