राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अजीत पवार ने कहा है कि मंत्रियों की डिग्री पर सवाल उठाना सही नहीं है और लोगों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि किसी नेता ने अपने कार्यकाल में क्या हासिल किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षिक योग्यता के बारे में बात करते हुए अजीत पवार ने कहा,”साल 2014 में क्या जनता ने प्रधानमंत्री मोदी को उनकी डिग्री के आधार पर वोट दिया था? उन्होंने जो करिश्मा खड़ा किया था, उससे मदद मिली। वह चुनाव जीते।”
उन्होंने कहा, “अब वह नौ साल से देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उनकी डिग्री के बारे में पूछना उचित नहीं है। हमें उनसे महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर सवाल करना चाहिए। मंत्री की डिग्री कोई महत्वपूर्ण मुद्दा नहीं है।” उन्होंने आगे पूछा, “अगर हमें उनकी डिग्री पर स्पष्टता मिलती है तो क्या महंगाई कम होगी? क्या उनकी डिग्री की स्थिति जानने के बाद लोगों को नौकरी मिलेगी?”
मालूम हो कि इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी को अपने कॉलेज की डिग्रियों को जनता के बीच रखना चाहिए। केजरीवाल ने कहा, “क्या देश को यह जानने का भी अधिकार नहीं है कि उनके पीएम ने कितनी पढ़ाई की है? उन्होंने अदालत में अपनी डिग्री दिखाने का कड़ा विरोध किया। क्यों? और जो अपनी डिग्री देखने की मांग करेंगे उन पर जुर्माना लगाया जाएगा? यह क्या हो रहा है? अनपढ़ या कम पढ़ा-लिखा पीएम देश के लिए बहुत खतरनाक है।”
दरअसल पिछले सप्ताह गुजरात उच्च न्यायालय ने ने पीएमओ, गुजरात यूनिवर्सिटी और दिल्ली यूनिवर्सिटी के पब्लिक इंफॉर्मेशन ऑफिसर (पीआईओ) को पीएम मोदी की ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्रियों का ब्योरा देने के निर्देश देने वाले केंद्रीय सूचना आयोग के आदेश को रद्द कर दिया था। उच्च न्यायालय ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया, जिन्होंने प्रधानमंत्री की डिग्री के प्रमाण पत्र का विवरण मांगा था।
इससे पहले कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री की डिग्री से जुड़ा मामला कोर्ट में जाने के बाद वह हैरान हैं। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पवन खेड़ा ने कहा, ‘देखिए, यह मामला कोर्ट में क्यों गया, दबाव। पीएम की शैक्षणिक योग्यता और उनकी डिग्री असली है या नहीं, इस मामले का अदालत में जाना हैरान करने वाला है।”