हरियाणा में जाट आंदोलनकारियों ने रविवार के दिन शांतिपूर्वक बलिदान दिवस मनाया। हरियाणा में जाटों ने आरक्षण आंदोलन अभी जारी रखा है। सरकार से हुई बातचीत का अब तक कोई निर्णय नहीं निकला है। सोमवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और जाट नेताओं के बीच नए सिरे से बातचीत शुरू होगी। ऑल इंडिया जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने जंग का ऐलान किया और 1 मार्च को असहयोग आंदोलन करने पर मुहर लगाई है, साथ ही आंदोलनकारी 26 फरवरी को पूरे हरियाणा में ‘काला दिवस’ मनाने की बात कह रहे है। जबकि मुख्यमंत्री खट्टर आंदोलनकारियों की मांग को ‘कानून में रहकर’ पूरा करने का भरोसा दिया है।
जाट संघर्ष समिति का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं की जाएगीं, तब तक जाट समुदाय असहयोग के रास्ते पर ही चलेगा और समुदाय के लोग बिजली-पानी का बिल नहीं जमा करेंगे। जाट समिति के नेता सोमवार को पानीपत में हरियाणा सरकार के साथ बातचीत के लिए राजी हो गई है। जाट समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने कहा कि समिति ने कुल 8 प्रस्ताव पास किए हैं और प्रदर्शनकारियों से मांगे पूरी होने तक बिजली–पानी के बिल न जमा करने की अपील की है।
मलिक ने कहा, “1 मार्च से हम सरकार के साथ असहयोग की नीति पर चलेंगे। कोई भी बिजली और पानी का बिल नहीं जमा करेगा और न ही लोन की किस्त भरेगा।” उन्होंने मार्च से भिवानी, जींद, कैथल, पानीपत, हिसार, करनाल, कुरुक्षेत्र, और अन्य कई क्षेत्रों में आंदोलन तेज करने की धमकी दी है। यशपाल मलिक का कहना है कि 2 मार्च को दिल्ली और यूपी के जाट दिल्ली में भी विरोध प्रदर्शन करेंगे और राष्ट्रपति को ज्ञापन देंगे। उन्होंने कहा कि हम संसद घेराव की भी योजना बना रहे हैं जिसका ऐलान 2 मार्च को किया जाएगा।
19 फरवरी को ‘बलिदान दिवस’ के रूप में मनाने के मद्देनजर रविवार को पूरा हरियाणा हाई अलर्ट पर था। साल 2016 की तरह हिंसा न भड़के, इसलिए सरकार ने बड़ी तादाद में सुरक्षा बलों को तैनात किया था। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए अर्धसैनिक बलों की 37 कंपनियां तैनात की गईं थीं। पिछले साल जाट आंदोलन हिंसक हो गया था। करोड़ों की संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा था। रोहतक, सोनीपत और झज्जर जिलों पर हिंसा का असर सबसे अधिक दिखा था।