केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय रियल टाइम बेसिस पर विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मौसमी इन्फ्लूएंजा की स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है और इसमें मार्च के अंत तक गिरावट की उम्मीद है। मंत्रालय ने कहा कि वह H3N2 के चलते हो रहे इन्फ्लूएंजा और प्रभावित मरीजों पर नज़र रख रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है, “मौसमी इन्फ्लुएंजा के संदर्भ में छोटे बच्चे और बुजुर्ग सबसे कमजोर समूह हैं। अब तक, कर्नाटक और हरियाणा ने एच3एन2 इन्फ्लूएंजा से एक-एक मौत की पुष्टि की है।” देश में H3N2 वायरस के लगभग 90 मामले सामने आए हैं। एच1एन1 वायरस के आठ मामलों का भी पता चला है।
मंत्रालय ने कहा, “मौसमी इन्फ्लूएंजा एक तीव्र श्वसन संक्रमण है जो दुनिया के सभी हिस्सों में फैल रहा है, और विश्व स्तर पर कुछ महीनों के दौरान मामलों में वृद्धि देखी गई है। भारत में हर साल मौसमी इन्फ्लूएंजा के दो पीक देखे जाते हैं: एक जनवरी से मार्च तक और दूसरा मानसून के बाद के मौसम में। मौसमी इन्फ्लूएंजा से उत्पन्न होने वाले मामलों में मार्च के अंत से गिरावट आने की उम्मीद है। हम इस चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।”
स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को रोगियों के वर्गीकरण, उपचार प्रोटोकॉल और वेंटिलेटरी प्रबंधन पर दिशानिर्देश प्रदान किए हैं जो मंत्रालय और एनसीडीसी की वेबसाइट पर भी उपलब्ध हैं। इसने राज्य सरकारों को H1N1 मामलों से निपटने वाले स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों के टीकाकरण की भी सलाह दी है। इसे लेकर आईसीएमआर ने एडवाइजरी भी जारी की है।
मालूम हो कि पिछले कुछ महीनों में देश में फ्लू के मामले बढ़ रहे हैं। अधिकांश संक्रमण H3N2 वायरस के कारण हुए हैं, जिसे “हांगकांग फ्लू” भी कहा जा रहा है। इस वायरस के चलते अधिक मरीज अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं। भारत में अब तक केवल H3N2 और H1N1 संक्रमण का पता चला है।
दोनों में कोविड जैसे लक्षण हैं, जिसने दुनिया भर में लाखों लोगों को संक्रमित किया और 68 लाख लोगों की मौत हुई। महामारी के दो साल बाद, बढ़ते फ्लू के मामलों ने लोगों में चिंता पैदा कर दी है।
लक्षण
लक्षणों में लगातार खांसी, बुखार, ठंड लगना, सांस फूलना और घरघराहट शामिल हैं। मरीजों ने मतली, गले में खराश, शरीर में दर्द और दस्त की भी सूचना दी है। ये लक्षण लगभग एक सप्ताह तक बने रह सकते हैं।
उपाय/उपचार
विशेषज्ञों के अनुसार, वायरस अत्यधिक संक्रामक है और संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने और निकट संपर्क से फैलता है। डॉक्टरों ने नियमित रूप से हाथ धोने और मास्क लगाने समेत कोविड जैसी सावधानियों की सलाह दी है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) का कहना है कि छींकने और खांसने के दौरान मुंह और नाक को ढंकें, बहुत सारे तरल पदार्थ पिएं, आंखों और नाक को छूने से बचें और बुखार और शरीर में दर्द के लिए पेरासिटामोल लें।
जिन लोगों को अगर कोई गंभीर बीमारी रही हो या इम्युनिटी कमजोर है उनके लिए ये संक्रमण गंभीर हो सकता है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने हाल ही में डॉक्टरों से आग्रह किया है कि फिलहाल मरीजों को एंटीबायोटिक्स न दें।