हम बचपन से सुनते आ रहे हैं, पढ़ते आ रहे हैं सच बोलो, अंधविश्वास पर भरोसा मत करो लेकिन कुछ खबरों को देखने के बाद लगता है ये बाते सिर्फ किताबी हैं। चांद पर जाने वाली दुनिया में अभी भी अंधविश्वास के नाम पर लोगों की हत्या हो रही है। इसमें बच्चे से बूढ़े तक शामिल हैं।
अंधविश्वास की बेहद भयानक और दिल को छल्ली कर देने वाली घटना झारखंड के गुमला गांव से सामने आई है। यहां पर अंधविश्वास के नाम पर एक ही परिवार के पांच लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। शर्मनाक बात तो ये है कि, हत्यारों ने पांच साल के मासूम बच्चे को भी नहीं बक्शा। इस घटना को अंजाम देने क लिए गांव वालों ने 23 फरवरी को एक मीटिंग की थी।

घटना पर हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए चीफ जस्टिस रवि रंजन ने सरकार को गहरी नींद से जागने की सलाह दी है। चीफ जस्टिस ने कहा कि सरकार को अब भी गहरी नींद से जागना चाहिए। डायन कुप्रथा के खिलाफ जागरूकता अभियान सही ढंग से नहीं चल रहा है।
हाईकोर्ट ने इस मामले में झारखंड के मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीजीपी और समाज कल्याण सचिव को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। साथ ही यह बताने को भी कहा है कि अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।
गौरतलब है कि, एक गांव के पुजारी मथुरा ने पिछले कुछ दिनों में हुई पशुओं की मौत को लेकर ‘डायन’ के प्रकोप की अफवाह फैला दी। उसने कुछ लोगों पर ‘डायन’ के वश में होने का आरोप लगाया। इस पर बिना कुछ सोचे-समझे लोगों ने एक ही परिवार के पांच लोगों की हत्या कर दी। मरने वालों में पांच साल का एक बच्चा भी था।
मिली जानकारी के अनुसार हत्या में मथुरा टोपनो नाम के व्यक्ति ने अहम भूमिका निभाई थी। गांव वालों के साथ मीटिंग करने के बाद मथुरा टोपनो ने कुछ नाम बताए थे। अगली सुबह एक बुजुर्ग व्यक्ति ने जोसफिना टोपनो नाम की 55 वर्षीय महिला का शव उसके ही कच्चे घर के बाहर देखा। अंदर जाने पर उसके पति निकोदिम का शव मिला। इसके अलावा बगल के कमरे में तीन और शव मिले। ये शव निकोदिम के बेटे विन्सेंट, बहू सिलवंती और उनके 5 साल के पोते अलबिन के थे।
इस मामले में अब तक एक व्यक्ति की गिरफ्तारी हुई है। बताया जा रहा है कि पुजारी द्वारा नाम बताए जाने के करीब 10 या 12 घंटे बाद इन लोगों की कुल्हाड़ी से हत्या कर दी गई। इस मामले में गिरफ्तार एक आरोपी ने बताया कि महज तीन मिनट के अंदर ही पूरी घटना को अंजाम दिया गया था।
बता दें कि, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ में अंधविश्वास के नाम पर हजारों लोगों को मौत के घाट उतारा जा चुका है। यहां पर महिलाओं को डायन बता कर मार दिया जाता है। खबर ये भी है कि, आपसी रंजिश को अंजाम देने के लिए भी लोग अंधविश्वास का सहारा लेते हैं। अंधविश्वास को लेकर भारत में कोई ठोस कानून नहीं है जिसके कारण ये अपराध दिन-प्रतिदन बढ़ता ही जा रहा है।
अंधविश्वास की भयावह परिणति हत्याओं में होती है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने कुछ सालों पहले एक रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें भारत में 1987 से 2003 तक 2 हजार 556 महिलाओं को डायन या चुड़ैल कह कर मार देने की बात कही गई थी। इस तरह हत्या करने के मामले झारखंड में सबसे आगे है। दूसरे पर ओड़िशा और तीसरे नंबर पर तमिलनाडु है। एक दूसरी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2011 में 240, 2012 में 119, 2013 में 160 हत्याएं अंधविश्वास के नाम पर की गई। अकेले झारखंड में 2001 से 20015 तक चार सौ महिलाओं की हत्या अंधविश्वास से प्रेरित होकर की गई।