पौराणिक ग्रंथो के अनुसार सनातन धर्म में तुलसी की पूजा की जाती है, लोगों का मानना है तुलसी की पूजा करने से परिवार में सुख और शांति आती है। लेकिन वहीं अगर हम आयुर्वेद के महत्व से तुलसी को देखे तो यह एक जानी-मानी औषधि है, जिसका इस्तेमाल कई बीमारियों में किया जाता है, सर्दी-खांसी से लेकर कई बड़ी और भयंकर बीमारियों में भी एक कारगर औषधि है।
तुलसी के पौधे का हर हिस्सा मायने रखता है। आयुर्वेद में स्वास्थ्य के लिहाज से और साथ ही सेवन हेतु इससे अनेकों फायदे को बताया गया है। तुलसी की जड़, उसकी शाखाएं, पत्ती और बीज सभी के अपने अलग – अलग गुण है।
- तुलसी के 5 प्रकार होते हैं।

- श्याम तुलसी,
- राम तुलसी,
- श्वेत/विष्णु तुलसी,
- वन तुलसी,
- नींबू तुलसी
लेकिन घरों में सिर्फ दो प्रकार की तुलसी देखने को मिलती है एक जिसकी पत्तिेयों का रंग थोड़ा गहरा होता है और दूसरा जिसकी पत्तियों का रंग हल्का होता है।
तुलसी के पौधे की एक सबसे खास बात यह है कि यह एक ऐसा पौधा जो 24 घंटे आक्सीजन देता है, और साथ ही अपने आस-पास के वातावरण को बैक्टीरिया के प्रभाव से स्वच्छ रखता है।
- तुलसी के कुछ अनदेखे फायदे इस प्रकार हैं

- यौन रोगों के इलाज में पुरुषों में शारीरिक कमजोरी होने पर तुलसी के बीज का इस्तेमाल काफी फायदेमंद होता है ।
- अनियमित पीरियड्स की समस्या में
- सर्दी में शरीर को गर्म रखने में
- दस्त होने पर
- सांस की दुर्गंध दूर करने के क्षमता
- चोट लग जाने पर
- चेहरे पर, कील- मुहासे, दाग- धब्बे आदि से छुटकारा
- कैंसर जैसे खतरनाक बीमारी की दवा बनाने में ।
तुलसी की तरह ही कई ऐसे पौधे हैं जिन्हें आयुर्वेद का वरदान माना गया है। इनमें से एक ऐलोवेरा है। ये पौधा त्वचा से संबंधित बीमारियों के लिए काफी गुणकारी माना गया है।