भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख डॉ. के. शिवन ने आज कहा कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत चीन से कम नहीं है। डॉ. शिवन ने यहाँ एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान भारत और चीन की अंतरिक्ष क्षमता में तुलना के बारे में पूछे जाने पर कहा “हम किसी भी तरह चीन से कम नहीं हैं। यदि हम उनसे बीस नहीं हैं तो हम उनसे उन्नीस भी नहीं हैं। मानव मिशन के मामले में चीन हमसे आगे जरूर है, लेकिन गगनयान मिशन के साथ ही हम उस आयाम पर भी चीन की बराबरी कर लेंगे।”
उल्लेखनीय है कि भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में दुनिया के अग्रणी देशों में है। रूसी, अमेरिकी और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसियों के बाद मंगल पर मिशन भेजने वाली इसरो चौथी एजेंसी है। अपने पहले मानव मिशन के साथ वह अमेरिका, रूस और चीन के बाद इस मामले में भी चौथा देश होगा। हम चंद्रमा पर अगस्त 2009 में ही मिशन भेज चुके हैं और इस साल अप्रैल में ‘चंद्रयान-2’ के नाम से दूसरा मिशन चंद्रमा पर भेजा जायेगा। इसरो 100 से ज्यादा उपग्रहों का एक साथ प्रक्षेपण करने वाली दुनिया की इकलौती एजेंसी है।
इसरो प्रमुख ने बताया कि देश के पहले मानव-अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ के लिए अंतरिक्षयात्रियों की चयन की प्रक्रिया इसी साल शुरू हो जायेगी। दिसंबर 2021 तक तीन अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थित कक्षा में भेजने की योजना है। अंतरिक्ष यात्रियों के चयन की प्रक्रिया इसी साल शुरू कर दी जायेगी। यह एक सतत चयन प्रक्रिया होगी जिसमें प्रशिक्षण और चयन साथ-साथ चलेगा। प्रशिक्षण के हर चरण में अच्छा प्रदर्शन करने वाले अंतरिक्ष यात्री ही अगले चरण में जा पायेंगे।
उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष यात्रियों के चयन और प्रशिक्षण के लिए दूसरे देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों की भी मदद ली जायेगी, क्योंकि भारत के पास इस क्षेत्र में अनुभव नहीं है। उनके इस बयान से स्पष्ट है कि इसमें अमेरिका, रूस या चीन की मदद ली जा सकती है, क्योंकि अब तक इन्हीं तीन देशों ने अंतरिक्ष में मानव को भेजने की उपलब्धि हासिल की है। इसरो के वैज्ञानिक सचिव उमामहेश्वरन आर. ने बताया कि पहले चरण के लिए करीब 15 अंतरिक्ष यात्रियों का चयन होगा। इनमें से प्रशिक्षण के हर चरण में छँटते-छँटते अंत में तीन अंतरिक्ष यात्रियों का चयन किया जायेगा।
डॉ शिवन ने बताया कि गगनयान में इस्तेमाल होने वाले प्रक्षेपणयान जीएसएलवी को मानव मिशन के अनुरूप बनाने का काम भी इसी साल शुरू किया जायेगा। अभी जीएसएलवी पे-लोड ले जाने के लिए बना है और मानव मिशन के लिए इसकी रेटिंग करनी होगी। मानव मिशन के हिसाब से जीएसएलवी का परीक्षण इस साल शुरू कर दिया जायेगा। यदि जरूरी हुआ तो उसमें कुछ बदलाव भी किये जायेंगे।
इसके अलावा ऑर्बिटल मॉड्यूल के परीक्षण का काम भी इस वर्ष शुरू होना है। यह क्रू-मॉडयूल और सर्विस मॉड्यूल को मिलाकर बनता है। क्रू-मॉड्यूल में अंतरिक्ष यात्री रहेंगे जबकि सर्विस मॉड्यूल में उनके जरूरत के सामान और उपकरण आदि होंगे। पाँच से सात दिन तक पूरा ऑर्बिटल मॉड्यूल अंतरिक्ष में पृथ्वी का चक्कर लगायेगा। इस मिशन की कुल लागत 10 हजार करोड़ रुपये से भी कम रहने का अनुमान है और यह दुनिया का सबसे सस्ता मानव-अंतरिक्ष मिशन होगा।
इसरो प्रमुख ने बताया कि वर्ष 2019 में कुल 32 मिशनों को अंजाम दिया जायेगा। इनमें 14 प्रक्षेपण मिशन, 17 उपग्रह मिशन और एक डेमो मिशन होगा जिनके अंतर्गत कुछ महत्वपूर्ण मिशन, चंद्रयान-2, जी-सैट 20, चार-पाँच माइक्रो रिमोट सेंसिंग उपग्रह, छोटे प्रक्षेपणयान एसएसएलवी का पहला प्रक्षेपण और पुनरोपयोगी प्रक्षेपणयान की डेमो लैंडिंग का परीक्षण शामिल हैं।
-साभार, ईएनसी टाईम्स