आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि गे सेक्स को अपराध से बाहर करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला सेना में लागू नहीं किया जा सकता है। गुरुवार को हुई सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस में जनरल रावत ने कहा कि सेना में ऐसे ऐक्शंस पर रोक है। हालांकि उन्होंने आगे यह भी कहा कि आर्मी कानून से ऊपर नहीं है। गे-सेक्स पर उन्होंने कहा, ‘हम सेना में इसकी अनुमति नहीं देंगे।’
सेना प्रमुख ने ये जवाब सालाना प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा, “अनुच्छेद 377 और अन्य मसलों पर बात करते हुए मैं आपको बता दूं कि हम हमेशा सेना को एक परिवार के रूप में देखते हैं। मेरा मानना है कि जिन बातों की चर्चा हो रही है, उनकी अनुमति सेना में नहीं दी जा सकती है।”
सेना प्रमुख रावत ने कहा, “हमारे अनेक सैनिक अपने परिवारों को फील्ड एरिया फैमिली एकोमोडेशन में छोड़कर सीमाओं पर तैनात हैं। हमें यह सुनिश्चित करना है कि इन परिवारों की देखभाल उसी तरह हो जिस तरह आपके अपने परिवार की होती है। आप चाहे जो कुछ कहें, यह अनुच्छेद, वह अनुच्छेद, जो अफसर और जवान सीमा पर तैनात हैं, वह परेशान नहीं होंगे अगर उनके परिवार की अच्छे से देखभाल होगी।”
सेनाध्यक्ष ने कहा, “सेना में हम कभी नहीं सोचते कि ऐसा (समलैंगिकता, व्यभिचार) हो सकता है। सेना के कानून में जो हो सकता था, वही शामिल किया गया है। यह ऐसी बात है जो सेना का कानून बनाते समय सुनी नहीं गई थी, इसलिए कानून में यह नहीं शामिल किया गया। हमने इसकी अनुमति कभी नहीं दी। हम लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं, लेकिन ऐसा करने की अनुमति नहीं देंगे।”