राधे राधे की प्रतिध्वनि से गूंजती ठाकुर बांकेबिहारी की नगरी वृन्दावन में सम्पन्न दो दिवसीय नारी शक्ति कुंभ ने देश को महिला सशक्तिकरण की दिशा में और मजबूती से कदम बढ़ाने की प्रेरणा दी। रविवार को सम्पन्न वैचारिक कुंभ में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक से लेकर दो अन्य राज्यों के राज्यपाल, दो केन्द्रीय मंत्री और प्रदेश सरकार के दो मंत्रियो ने शिरकत कर महिला सशक्तिकरण की पुरजोर वकालत की। कुंभ में पांच हजार महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी। कुंभ की सफलता में विशेष भूमिका निभाने वाले सूबे उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने दावा किया कि कुंभ से नारी शक्ति को एक नया आयाम मिला है।
नाईक ने कहा कि इस नारी शक्ति कुम्भ के द्वारा इतिहास और वर्तमान स्थिति के चिन्तन में जो अमृत निकलेगा उसे लेकर यह महिलायें अपने-अपने क्षेत्र में जायेंगी। उन्होंने कहा कि पुरूष और नारी राष्ट्र के दो पहिये हैं जिनके कंधों पर देश को शिखर पर ले जाने की जिम्मेदारी है इसलिए दोनों में आपसी सामंजस्य होना चाहिए। नारी शक्ति का प्रयोग समाज एवं राष्ट्र के लिए हो, इसका मंथन इस नारी शक्ति कुम्भ में किया जाना चाहिए।
पवित्र तीर्थस्थल वृन्दावन में ‘नारी शक्ति कुम्भ’ के वैचारिक सत्र का प्रदेश के महामहिम राज्यपाल श्री राम नाईक जी,गोवा की महामहिम राज्यपाल श्रीमती मृदुला सिन्हा जी और विदेश मंत्री श्रीमती @SushmaSwaraj जी की उपस्थिति में शुभारंभ। @UPGovt @BJP4India @VaicharikKumbh @BJP4UP pic.twitter.com/hgOkrn9FtL
— Shrikant Sharma (@ptshrikant) December 9, 2018
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने महिलाओं को अतीत के गौरव को याद दिलाते हुए कहा कि वे कुछ कर नहीं सकती यह शब्द अपने शब्दकोष से निकाल दें क्योंकि वे अब सब कुछ कर सकती है। उनका कहना था कि समाज को अपनी मानसिकता बदलनी होगी और नारी को अपनी शक्ति पहचाननी होगी। सुषमा स्वराज ने नारी को अपनी शक्ति की याद दिलाते हुए कहा कि सभी पुरूष देवों का वर्ष में एक-एक दिन है और नारी शक्ति की उपासना के लिए वर्ष में दो बार नवरात्रि अर्थात 18 दिन आते हैं। उन्होंने प्रकृति में नारी शक्ति एवं बौद्धिकता का उदाहरण देते हुए कहा कि जंगल में शिकार शेर नहीं करता है शेरनी करती है और पहले शेर को खिलाती है, अपने बच्चों को खिलाती है और फिर वह खाती है। इसी प्रकार से हाथियों के झुण्ड में नेतृत्व हथिनी करती है, जो बौद्धिकता का प्रतीक है। उनका कहना था कि वर्तमान में परिवारों में आयीं विकृतियों को सुदृढ़ करने व ’’बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ ’’की जिम्मदारी महिलाओं को उठानी होगी।
जो महिला कल्पना चावला बनकर अंतरिक्ष में पहुंच जाती है,जो महिला कृत्रिम पैर से हिमालय की चढ़ाई पर चढ़ जाती है,जो महिला पुरुषों के एकाधिकार वाले बॉक्सिंग और कुश्ती जैसे खेलों के शिखर पर पहुंच जाती है,वह महिला शारीरिक रूप से कमजोर कैसे हो सकती है: विदेश मंत्री श्रीमती @SushmaSwaraj pic.twitter.com/j8no3UVYRP
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केन्द्रीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहां कि महिलाओं को कमजोर बताना पुरानी बात है क्योंकि वे आज घर की दीवारों के अन्दर तक ही सीमित नही हैं बल्कि उन्होंने आसमान को छू लिया है। अब समाज को भी महिलाओं को समानता का अधिकार देना होगा। द्विदिवसीय कार्यक्रम के दौरान उत्तराखण्ड की राज्यपाल बेबीरानी मौर्य, वात्सल्य ग्राम की अधिष्ठात्री साध्वी ऋतंभरा, गोवा की राज्यपाल महामहिम मृदुला सिन्हा, उ0प्र0 सरकार के पर्यटन व संस्कृति मंत्री रीता बहुगुणा जोशी, बेसिक शिक्षा/बाल विकास पुष्टाहार मंत्री अनुपमा जायसवाल,डा0 भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति डा0 अरविन्द दीक्षित ने अपने विचारों के द्वारा इसमें भाग लेने आई लगभग पांच हजार महिलाओं को उनके अतीत के गौरव का स्मरण कराते हुए उन्हें उनकी क्षमता का बोध कराने का प्रयास किया।
#NariShaktikumbh में सामाजिक कार्य, खेल, शिक्षा, साहस और विज्ञान व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपनी अतुलनीय उपलब्धियों से देश को गौरवान्वित करने वाली नारी शक्ति स्वरूपाओं को केंद्रीय रक्षा मंत्री श्रीमती @nsitharaman जी की उपस्थिति में सम्मानित किया। @BJP4India @VaicharikKumbh pic.twitter.com/8lFPvEjc4J
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कुंभ पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए झारखण्ड के रांची जिले से आई ककोली दास ने कहा कि इस कुंभ में उन्हें सशक्त भारत सशक्त नारी का संदेश मिला है जो उनके जीवन को दिशा देगा तो उत्तराखण्ड से आई वर्षा घरोटे ने कहा कि इस कुंभ में उन्हें यह संदेश मिला है कि नारी अपनी शक्ति से सामाजिक परिवर्तन ला सकती है। ग्वालियर की संगीता गोखले का कहना था कि उन्हें यह अहसास हुआ है कि आज वे फूल भी हैं और चिंगारी भी हैं। वे कोमल भी हैं तथा आवश्यकता पड़ने पर वे सख्त हो सकती हैं। कुछ इसी प्रकार के विचार नागपुर की छाया नायक, सुल्तानपुर की आरती आदि ने व्यक्त किये।
-साभार, ईएनसी टाईम्स