कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज कहा कि रोजगार और किसानों के जुड़े मुद्दों को मोदी सरकार द्वारा तरजीह न दिये जाने से देश में उसके प्रति आक्रोश पनप रहा है तथा पार्टी जनता के सहयोग से न केवल उसे विधानसभा चुनावों में पराजित करेगी बल्कि उसे 2019 के चुनावों में केंद्र से भी उखाड़ फैंकेगी। राहुल गांधी ने यहां एसोसिएट्स जर्नल लिमिटेड(एजेएल) के हिंदी अखबार ‘नवजीवन‘ की पुन: प्रकाशन शुरू करने तथा राष्ट्रपति महात्मा गांधी की 15वहीं जयंती पर इसका विशेषांक निकालने के मौके पर अपने सम्बोधन में यह बात कही। उन्होंने दावा किया कि हाल के विधानसभा चुनावों में देश की जनता भारतीय जनता पार्टी को जबाव देने वाली है साथ ही अगले वर्ष प्रस्तावित आम चुनावों में भी कांग्रेस जनता के सहयोग से मोदी सरकार को केंद्र से उखाड़ फैंकेगी।
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— Congress (@INCIndia) December 10, 2018
उन्होंने केंद्र सरकार पर किसानों को तरजीह नहीं देने का आरोप लगाया और कहा कि सरकार यह मानती है कि मेक इन इंडिया से काम चल जाएगा। लेकिन वह कहना चाहते हैं कि चाहे 21वीं या 22 वीं सदी हो किसान के हितों के संरक्षण और खाद्य सुरक्षा के बिना देश आगे नहीं बढ़ सकता। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस वर्ष 2019 के आम चुनावों के बाद सत्ता में आने पर 21वीं सदी के मद्देनज़र रोजगार और किसानों की समस्याओं को हल करने के लिये एक रणनीति बना कर काम करेगी।
कांग्रेस अध्यक्ष ने पीएम मोदी के साथ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर भी निशाना साधते हुये कहा कि ये दोनों यह समझते हैं जो उनके दिल और दिमाग में है वह सही है। देश में आक्रोश के पनपने की यह एक मुख्य वजह है। उन्होंने दावा किया कि देश में सभी संवैधानिक संस्थाओं पर आक्रमण हो रहा है उच्चतम न्यायालय के जज काम नहीं करने देने, सेना के जनरल सेना का राजनीतिक इस्तेमाल करने और निर्वाचन आयोग उस पर पर दबाव डाले जाने का आरोप लगा रहे हैं। यहां तक कहा कि सरकार मंत्री और नेता भी इससे अछूते नहीं है उन्हें भी धमकाया जाता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस समेत विपक्षी दल देश की इन संस्थाओं पर इस आक्रमण के खिलाफ मजबूती से खड़े हैं।
उन्होंने लोकतंत्र में प्रैस को ‘शेर‘ की संज्ञा देते हुये कहा कि इसमें बड़े से बड़े लोगों को उनकी जगह दिखाने की ताकत है। लेकिन अगर अखबार मालिकों को जब सरकार का प्रश्रय मिल जाता है तो ये अखबार केवल कागजी शेर बन कर रह जाते हैं। उन्होंने कहा कि आज की प्रैस की भी यही स्थिति है। अखबारों के फ्रंट पृष्ठ से रोजगार, किसान, भ्रष्टाचार समेत देश और समाज की ज्वलंत समस्याएं गायब हैं। देश में मीडिया को डराया और उसकी आवाज को दबाया जा रहा है। अखबारों में अब वही लिखा रहा है जो सरकार सुनना चाहती है। उन्होंने प्रैस की आजादी की वकालत करते हुये कहा कि ऐसे में समय में ‘नवजीवन‘ जैसे अखबारों की जरूरत है। उन्होंने पत्रकारों से देश की ज्वलंत समस्याओं पर स्वतंत्र और निर्भीक पत्रकारिता करने की भी अपील की।
-साभार, ईएनसी टाईम्स