उच्चतम न्यायालय केरल के सबरीमला स्थित अयप्पा मंदिर में 10 से 50 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश से संबंधित फैसले की समीक्षा 22 जनवरी को करेगा। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति रोहिंगटन एफ नरीमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की संविधान पीठ 49 पुनर्विचार याचिकाओं की खुली अदालत में सुनवाई पर सहमत हो गयी।
संविधान पीठ ने कहा कि वह सभी पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई अगले वर्ष 22 जनवरी को खुली अदालत में करेगी।
आमतौर पर पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई अदालत कक्ष में होती है।
इसी बीच, सबरीमला मामले में कुछ रिट याचिकाएं भी दायर की गयी हैं, जिन पर न्यायालय ने कहा है कि वह इन पुनरीक्षण याचिकाओं पर अंतिम फैसले के बाद सुनवाई करेगी।
उल्लेखनीय है कि संविधान पीठ ने गत 28 सितम्बर को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए हर उम्र की महिलाओं के लिए केरल के सबरीमला मंदिर के ‘द्वार’ खोल दिये थे। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति खानविलकर, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति नरीमन और न्यायमूर्ति मल्होत्रा की संविधान पीठ ने 4:1 का बहुमत का फैसला सुनाते हुए कहा था कि शरीर क्रिया विज्ञान (फिजियोलॉजी) के आधार पर 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के सबरीमला मंदिर में प्रवेश पर पाबंदी संविधान प्रदत्त उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
न्यायालय ने यह फैसला इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन की याचिका पर सुनाया था। न्यायमूर्ति मिश्रा ने अपनी ओर से एवं न्यायमूर्ति खानविलकर की ओर से फैसला सुनाया था, जबकि न्यायमूर्ति नरीमन और न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने अलग से लेकिन सहमति का फैसला पढ़ा था। संविधान पीठ में शामिल एक मात्र महिला न्यायाधीश इंदु मल्होत्रा ने असहमति का फैसला दिया था।
-साभार,ईएनसी टाईम्स