छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के पहले चरण की 18 सीटों पर कल मतदान हुआ। वोटिंग के बाद राज्य निर्वाचन आयोग के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सुब्रत साहू ने मतदान संबंधी आंकड़े पेश किए। आयोग के मुताबिक मतदान का औसत 60.49 प्रतिशत रहा जो कि पिछले चार चुनावों का सबसे कम मत प्रतिशत है।
2013 में इन सीटों पर औसत 75.86 फीसदी मतदान हुआ था। एक भी सीट ऐसी नहीं रही जहां पिछली बार से ज्यादा मतदान हुआ हो। पहले चरण में जिन 18 सीटों पर मतदान हुआ उनमें शामिल थीं – राजनांदगांव, खैरागढ़, डोंगरगढ़, डोंगरगांव, खुज्जी, मोहला-मानपुर, जगदलपुर, बस्तर, चित्रकोट, दंतेवाड़ा, केशकाल, कोंडागांव, भानुप्रतापपुर, कांकेर, नारायणपुर, बीजापुर, अंतागढ़ और कोंटा।
पिछले चुनाव की तुलना में मत प्रतिशत का सबसे बड़ा अंतर अंतागढ़ में रहा। 2013 में यहां 77.29 फीसदी मतदान हुआ था, जो इस बार महज 43 फीसदी (34.29 फीसदी का अंतर) रह गया। नारायणपुर में भी पिछली बार के 70.17 फीसदी की तुलना में इस बार 39.8 फीसदी (30.37% कम) ही वोट पड़े।
सबसे ज्यादा 72 फीसदी वोटिंग खुज्जी सीट पर दर्ज की गई। इसके अलावा राजनांदगांव (70.5%), खैरागढ़ (70.14%), डोंगरगढ़ (71%), डोंगरगांव (71%), बस्तर (70%) और चित्रकोट (71%) ही ऐसी सीटें रहीं, जहां 70 फीसदी या इससे कुछ ज्यादा मत पड़े हों। सबसे कम 33 फीसदी वोटिंग बीजापुर में हुई। नारायणपुर (39.8%), अंतागढ़ (43%), कोंटा (46.19%) और दंतेवाड़ा (49%) में मदतान का आंकड़ा 50 फीसदी से कम रहा।
नक्सल प्रभावित इलाके के चलते पूरे देश की नजर इन 18 सीटों पर थी। मतदान शुरू होने के बाद जिस तरह से मतदाताओं की लंबी-लंबी कतारों वाली तस्वीरें सामने आईं, लगा कि इस बार रिकॉर्डतोड़ वोटिंग होगी, लेकिन चुनाव आयोग द्वारा जारी फाइनल आंकड़ा अलग रहा। वोटिंग प्रतिशत भले ही आशानुरूप न रहा हो, लेकिन यह चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक रहा।
क्योकि सुकमा जिले के पालम अडगु गांव में 15 साल के बाद मतदान हुआ। अब तक नक्सलियों के खौफ के कारण यहां वोटिंग नहीं हो सकी थी। इसी तरह सुकमा के ही भेज्जी में पिछली बार एक वोट पड़ा था, इस बार भारी संख्या में ग्रामीणों में मताधिकार का प्रयोग किया। धुर नक्सल प्रभावित रोंजे पंचायत में आजादी के बाद पहली बार मतदान हुआ।