अमृतसर। जोड़ा रेलवे फाटक के पास हुए हादसे को लेकर पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू पर सवालों का घेरा कस रहा है। घोबीघाट मैदान में आयोजित जिस कार्यक्रम के दौरान यह हादसा हुआ है उसका एक वीडियो सामने आया है। इससे पूर्व संसदीय सचिव डॉ. नवजोत कौर सिद्धू के लिए परेशानी पैदा हो सकती है। वीडियो के अनुसार, उन्हें मंच से ही चीख चीख कर इस बात की जानकारी दी जा रही थी कि रेलवे ट्रैक पर करीब 5000 लोग खड़े है, लेकिन मंच से ट्रैक पर खड़े इन लोगों को वहां से हट जाने की अपील नहीं की गई। इतना उद्घोषण इसे उनकी लोकप्रियता करार दे रहा है।
इस वीडियो से स्पष्ट हो रहा है कि यदि रेलवे ट्रैक पर खड़े लोगो को वहां से हटाने की कोशिश की गई होती तो शायद इतना भीषण हादसा नहीं होता। विरोधियों का सवाल है कि क्या मंच से इस तरह के दावे करके केबिनेट मंत्री की पत्नी को दशहरा उत्सव के लिए लोगों का उत्साह दिखाया जा रहा था या शक्ति प्रदर्शन दिखाया जा रहा था। मंच से संबोधन करने वाला अनाउंसर नवजोत कौर सिद्धू के सामने इस बात की हुंकार भर रहा था ‘ मैडम इधर देखें, कोई फिक्र नहीं ट्रैक का इनको, भले ही पांच सौ गाडिय़ां गुजर जाएं, 5000 से ज्यादा लोग ट्रैक पर खड़े हैं।’
वीडियो में नवजोत कौर सिद्धू को संबोधित करते हुए यह व्यक्ति ने कहते दिख रहा है, ‘रावण में 5000 से ज्यादा बम भरे हुए हैं, जब आप इसे अग्निभेंट करेंगे तो देखना कि कैसी धमाल पड़ेगी इन बमों की। वैसे तो एक ही बम बहुत है पाकिस्तान को खत्म करने के लिए, लेकिन यह बदी पर नेकी की जीत का त्योहार है इसलिए 5000 से ज्यादा बम इसमें भरे हुए हैं।’
वीडियो में उद्घोषक एक बार भी लोगों को रेल ट्रैक से हटने की अपील करते नहीं दिख रहा है। वहां से हटने की कोई अपील नहीं की गई। सवाल इस बात को लेकर भी उठाए जा रहे हैं कि जब उद्घोषक ऐसी बातें कह रहा था तो नवजोत कौर सिद्धू ने खुद माइक पकड़कर लोगों को ट्रैक से हटने की अपील क्यों नहीं की। अगर लोगों को समय रहते वहां से हटा लिया जाता तो बड़ा हादसा टल सकता था। वहीं इससे पहले की एक वीडियो में मंच से अपनी कला का प्रदर्शन करने वाला गायक कलाकार ट्रैक पर खड़े लोगों को बार बार यह अपील करते हुए सुना गया कि लोगों को ट्रैक से हट जाना चाहिए। वह कहता है ‘यहां पर मौजूूूद लोग स्थानीय हैं और सभी जानते हैं कि यहां से ट्रेन गुजरने का समय क्या है। इसलिए ट्रेन के समय ट्रैक से हट जाएं।’
सूर्यास्त से पहले जलाना होता है रावण
पौराणिक मान्यता के अनुसार रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतलों का दहन सूर्यास्त से पहले होना चाहिए, लेकिन जोड़ा फाटक में दशहरा कमेटी ने सूर्यास्त के बाद ही पुतले जलाए। यह देरी इसलिए हुई क्योंकि मुख्य अतिथि डॉ. नवजोत कौर सिद्धू को आने में विलंब हुआ था। वहीं, प्रत्यक्षदर्शी बबलू ने बताया कि रावण जलाने का समय 5.30 बजे तय था, लेकिन यहां सात बजे पुतलों को आग लगाई गई। यदि समय पर पुतला दहन कार्यक्रम कर दिया होता तो यह हृदय विदारक घटना घटित न होती।
नवजोत कौर बोलीं, हादसे के लिए रेलवे जिम्मेदार
दूसरी ओर, नवजोत कौर सिद्धू ने कहा कि मंच से पांच-छह बार अनाउंसमेंट हुई कि लोग रेल ट्रैक छोड़कर मैदान के अंदर आ जाएं, वहां बहुत जगह है, लेकिन लोगों ने सुनी नहीं। रावण जल रहा होता है तो उनका ध्यान नहीं होता। सब वीडियो बना रहे थे। यहां तक कि पीछे खड़े लोगों को पता नहीं चला कि ट्रेन आ गई। वे वीडियो बना रहे थे। उन्होंने इस घटना के लिए रेलवे को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि रावण दहन के समय सभी का ध्यान रावण की तरफ था। लेकिन क्या फाटक बंद करने वाले को भी नहीं पता था कि ट्रेन आ रही है और ट्रैक पर लोग खड़े है। वह ट्रेन को अलर्ट करना चाहिए था। ताकि ट्रेन स्लो हो सकती। लोगों के चेहरे तो रावण की तरफ थे उन्हें तो पता ही नहीं चला कि ट्रेन आ रही है।