इंडियन वीमेन्स प्रेस कोर ने केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी को पत्र लिखकर ‘मी टू’ के आरोपी विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर के खिलाफ सरकार द्वारा किसी तरह की जांच न कराये जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की है और कहा है कि अकबर को पद पर बरक़रार रखकर सरकार ने गलत सन्देश दिया है। प्रेस कोर ने राष्ट्रीय महिला आयोग को भी एक पत्र लिखकर ‘मी टू’ के सभी मामले का संज्ञान लेने की मांग की है और समय सीमा के भीतर इस बारे में सिफारिश करने का अनुरोध किया है।
प्रेस कोर की अध्यक्ष टी राज्यलक्ष्मी और महासचिव हरजिंदर बवेजा द्वारा राजनाथ सिंह को लिखे पत्र में कहा है कि उन्हें इस बात को लेकर गहरी निराशा हुई है कि उनकी सरकार के एक मंत्री पर कई पत्रकारों ने यौन दुर्व्यवहार के आरोप लगाये लेकिन अभी तक इस मामले में उनके खिलाफ कोई जांच शुरू नहीं हुई बल्कि आरोप लगाने वाली महिलाओं के नीयत पर ही सवाल उठाये गये।
पत्र में कहा गया है कि महिलाओं के खिलाफ यौनिक दुर्व्यवहार एवं छेड़छाड़ की घटनायें समाज में होती रहती हैं और सरकार ने कार्यस्थल पर यौन प्रताड़ना को रोकने के लिए कानून बनाया है और कई और प्रयास किये हैं लेकिन यह मुख्य रूप से सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह कार्यस्थलों पर महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल बनाये और उन्हें किसी तरह की धमकी या प्रताड़ना न मिले।
पत्र में कहा गया है कि इस तरह के गंभीर आरोप लगने के बाद संबंधित मंत्री के खिलाफ कोई जांच शुरू नहीं की गयी और सरकार ने महिलाओं की चिंता न करके मंत्री को पद पर बरक़रार रखकर गलत सन्देश दिया है।
प्रेस कोर ने मेनका गांधी को लिखे पत्र में कहा है कि ‘मी टू’ के सभी मामलों की जांच के लिए उन्होंने न्यायाधीशों की एक समिति गठित कर अच्छा काम किया है लेकिन अपनी सरकार के मंत्री के खिलाफ लगे आरोपों को देखते हुए इसकी अभी तक जांच नहीं कराई है। पत्र में यह भी कहा गया है कि संबंधित मंत्री के खिलाफ तब तक निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती जब तक वह पद न त्याग दें। पत्र में इन मामलों का स्वतः संज्ञान लेते हुए जाँच कार्य शुरू करने की मांग की गयी है।
प्रेस कोर ने महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा को लिखे पत्र में अकबर के खिलाफ जांच शुरू करने और इन सभी मामलों का संज्ञान लेते हुए समय सीमा के भीतर सिफारिश करने की भी मांग की हैं।
–साभार,ईएनसी टाईम्स