केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री और पीलीभीत सांसद मेनका गांधी के संसदीय क्षेत्र में बच्चों में शिक्षा का कितना विकास हो रहा है इसकी पड़ताल करने के लिए जब एपीएन की टीम बिलसंडा के शहजादपुर के प्राइमरी स्कूल पहुंची तो शिक्षा व्यवस्था तालाब बन चुके स्कूल में डूबती दिखी। पूरे स्कूल परिसर में पानी भरा पड़ा है। बारिश होने के बाद स्कूल परिसर में पानी जमा होने के बाद आज तक पानी निकल नहीं सका है।
दरअसल यहां जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं होने की वजह से बारिश के दिनों में एक बार पानी भर जाता है तो महीनों इसी तरह से जमा रहता है। गर्मी के दिनों में जब तेज धूप निकलती है तब जाकर यहां का पानी सूखता है लेकिन इस बीच ये स्कूल टापू बना रहता है और पानी के बीच से होकर बच्चे स्कूल पहुंचते हैं। लेकिन पानी से गुजरना बेहद जोखिम भरा है। स्कूल परिसर में कई बड़े गड्ढे है जिनकी गहराई करीब 5 फीट तक है। परिसर में पानी जमा होने से इन गड्ढे में भी पानी भर जाता है जो कि स्कूली बच्चों के लिए मौत का गड्ढा बन जाता है। दो बार यहां पानी भरे गड्ढों में बच्चे डूब चुके है लेकिन भगवान का शुक्र है कि वक्त रहते किसी की नजर पड़ गई और डूब रहे बच्चों को बचा लिया गया।
तालाब बन चुके स्कूल में बच्चों की जान पर हर वक्त खतरा बना रहता है। अभिभावकों को हर वक्त बच्चों के साथ अनहोनी का डर सताता रहता है, यही वजह है कि अभिभावक अपने बच्चों को इस स्कूल में नहीं पढ़ाना चाहते है। कई बच्चों का उनके अभिभावको ने इस स्कूल से नाम कटवा दिया है तो ज्यादातर बच्चे रजिस्टर में नाम दर्ज होने के बावजूद स्कूल नहीं आते। यही वजह है कि स्कूल में बच्चों की उपस्थिति बहुत कम रहती है। पानी जमा रहने की वजह से स्कूल का शौचालय भी पानी में डूबा रहता है। ऐसे में इसका किस तरह से इस्तेमाल होता होगा ये समझा जा सकता है। हैंडपंप भी पानी में डूबा हुआ है। महीनों पानी में डूबे रहने की वजह से इसका पानी भी पीने योग्य नहीं रहा है
पानी जमा होने की वजह से यहां नर्क का नजारा बना रहता है। स्कूल में इसकी वजह से शिक्षा का माहौल बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। बारिश होने पर स्कूल में ना तो बच्चे पहुंच पाते है और ना ही टीचर, ऐसे में यहां पानी के साथ पढ़ाई भी बह रही है। यही वजह है कि बच्चे हमारे पूछे गए सामान्य से सवालों का जबाव देने में भी बेबस नजर आए।
स्कूल में दूसरी बुनियादी सुविधाओं की बात करें तो यहां क्लास में बच्चों के बैठने के लिए बेंच और डेस्क नहीं है। बच्चे जमीन पर बैठ कर पढ़ने को मजबूर हैं। पानी भरे रहने की वजह से अकसर यहां जहरीले कीड़े-मकौड़े निकलते रहते हैं वहीं शहजादपुर के प्राथमिक स्कूल में बिजली की भी व्यवस्था नहीं है। ऐसे में गर्मी हो या बरसात, बच्चे उमस भरी गर्मी से परेशान रहते हैं।
चलिए अब आपको पीलीभीत में शिक्षा की बदहाली की एक और खबर दिखाते हैं। जब हम पीलीभीत के मूसेपुर प्राइमरी स्कूल में पहुचे तो यहां का नजारा भी शहजादपुर प्राथमिक स्कूल की तरह ही था। स्कूल का परिसर तालाब बना हुआ है। बारिश होने के बाद यहां परिसर में पानी भर गया है जिसकी वजह से स्कूल टापू बन गया है। अब यहां आना-जाना मुहाल है। हालांकि अब बारिश थम चुकी है फिर भी जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं होने की वजह से पानी आज भी जमा है और स्कूल की शिक्षा व्यवस्था को चौपट कर रहा है। पानी भरे होने की वजह से बच्चों को आने-जाने में बड़ी परेशानी होती है। पानी में कपड़े भीग ना जाए इसलिए बच्चे कपड़ा उतार कर स्कूल पहुंचते हैं।
जब हम यहां पहुंचे तो बच्चों के मिड डे मिल का वक्त हो गया था। बच्चों को मिड डे मिल परोसा गया लेकिन हमें देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ कि बच्चे खाना खाने के बाद खुद जूठा बर्तन धो रहे थे। हैंडपंप पानी में डूबा पड़ा है और उसी हैंडपंप के पानी से बच्चे अपनी प्यास भी बुझा रहे हैं और बर्तन भी साफ कर रहे हैं। स्कूली शिक्षा व्यवस्था की ये दुर्दशा बताने के लिए काफी है कि सरकार नौनिहालों के भविष्य के प्रति कितनी जागरुक है। जब स्कूल तालाब बने हो तो यहां मछली पालन तो हो सकता है लेकिन बच्चों को शिक्षा से पोषित तो कतई नहीं किया जा सकता है। जरूरत है कि सरकार इन तस्वीरों को देखे और शिक्षा व्यवस्था को पानी में डूबने से बचाएं।
एपीएन ब्यूरो