हर एक चीज के दो पहलू होते हैं। एक अच्छा और दूसरा बुरा। इसमें हमारी सरकार भी आ जाती है और प्रशासन भी। ऐसे में देखा जाए तो कई अधिकारी भ्रष्टाचार, गुस्सा, लालच आदि की जाल में फंस कर प्रशासन को बदनामी दिलाने का काम करते हैं तो वहीं कुछ ऐसे अधिकारी भी होते हैं जो इंसानियत की नींव रखकर अपने काम को बड़े ही ईमानदारी से करते हैं। इसी में फैजाबाद के जिलाधिकारी अनिल कुमार पाठक भी आते हैं जिन्होंने मानवता की मिसाल पेश की है। अनिल कुमार पाठक ने एक बेसहारा वृद्ध महिला की सिर्फ मदद ही नहीं की बल्कि उसके मरने के बाद उनका बेटा बन उनका अंतिम संस्कार भी किया।
अनिल कुमार पाठक ने सड़क पर पड़ी लावारिस महिला को देखा और उसके इलाज के लिए उसको अस्पताल में भर्ती करवाया। लेकिन लाख कोशिशों को बाद भी वो उस वृद्ध महिला को बचा नहीं सकें। फैजाबाद के जिलाधिकारी ने बेटे का फर्ज निभाया और एक लावारिस वृद्ध महिला का अंतिम संस्कार कर मानवता की मिशाल पेश की। दरअसल, एक बूढ़ी महिला घायल अवस्था में सड़क किनारे कराह रही थी, अनिल पाठख ने उसे देखा और उठाकर हॉस्पिटल ले गए। कुछ दिन तक महिला का इलाज चला लेकिन वह बच नहीं सकी। दोनों एक दूसरे के लिए अनजान थे लेकिन एक महीने तक हॉस्पिटल में रहने के दौरान दोनों के बीच एक इमोशनल रिश्ता बन गया था। इसी लगाव की वजह से महिला की मौत के बाद डीएम अनिल पाठक ने महिला की चिता को आग दी और उसका अंतिम संस्कार किया।
वृद्ध महिला की मौत के बाद अस्पताल ने 24 घंटे तक उनके परिजनों का इंतजार किया लेकिन कोई उनकी खोज-खबर लेने नहीं आया। इसके बाद डीएम अनिल को सूचित किया गया जिसके बाद वो आए और महिल की डेड बॉडी को उठा ले गए।