भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और उनके ब्रिटिश (UK) के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक (Rishi Sunak) ने बुधवार को बाली में ग्रुप ऑफ 20 (G-20) शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की और दोनों देशों के बीच व्यापार (Trade) को बढ़ावा देने के तरीकों पर चर्चा की. बताया जा रहा है कि इस दौरान मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement- FTA) को लेकर भी पर भी बातचीत हुई है.
ऋषि सुनक (Rishi Sunak) ने कुछ दिन पहले ही ब्रिटेन के 57वें प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. ब्रिटिश प्रधानमंत्री के पदभार संभालने के बाद से यह मोदी और भारतीय मूल के सुनक के बीच पहली मुलाकात थी.
बुधवार को सुनक जब पीएम नरेंद्र मोदी से मिले तो उन्होंने एक नई योजना की भी घोषणा की है कि जिसके तहत, 18-30 वर्षीय डिग्रीधारी शिक्षित भारतीयों को दो साल तक ब्रिटेन में रहने और काम करने के लिए सालाना 3,000 लोगों को वीजा जारी किया जाएगा. ज्ञात हो कि भारत ने GDP के मामले में ब्रिटेन को पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में पीछे छोड़ दिया था.
भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता ?
बुधवार 16 नवंबर 2022 को सुनक के कार्यालय ने कहा कि ब्रिटेन, भारत (UK – India) के साथ एक व्यापार समझौते (Free Trade Agreement- FTA) पर बातचीत कर रहा है, जिस पर अगर सहमति बनती है तो ये भारत के साथ किसी भी यूरोपीय देश के साथ अपनी तरह का पहला समझौता होगा. इस बैठक के बाद मोदी ने ट्विटर पर कहा, “भारत यूनाइटेड किंगडम के साथ मजबूत संबंधों को बहुत महत्व देता है. हमने वाणिज्यिक संपर्क बढ़ाने, भारत के रक्षा सुधारों के संदर्भ में सुरक्षा सहयोग का दायरा बढ़ाने और लोगों से लोगों (People to People) के बीच संबंधों को और भी मजबूत बनाने के तरीकों पर चर्चा की.”
इससे पहले ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बारिस जॉनसन ने अक्टूबर के अंत तक भारत के साथ व्यापार समझौते का वादा किया था जिसको वो पूरा नहीं कर पाए थे, क्योंकि उनको पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था. इसके पिछे मुख्य रूप से भारत में बिक्री के लिए ब्रिटिश व्हिस्की पर भारी आयात शुल्क तो वहीं भारत की तरफ से भारतीयों के लिए आसान ब्रिटिश वीजा की मांग शामिल है. व्यापार समझौते में 26 अध्याय हैं, जिनमें सामान, सेवाएं, निवेश और बौद्धिक संपदा के अधिकार शामिल हैं.
मिंट में छपी एक खबर के अनुसार वाणिज्य मंत्रालय ने तौर पर मार्च 2023 तक व्यापार समझौते पर वार्ता समाप्त करने के लिए एक आंतरिक समय सीमा तय की है. रिपोर्ट्स के मुताबिक जुलाई तक दोनों देशों के अधिकारियों के बीच पांच दौर की बातचीत पहले ही पूरी हो चुकी है.
इस समझौते के तहत सीमा शुल्क को कम करने या समाप्त करने से भारत के सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले क्षेत्रों जैसे कपड़ा, चमड़ा और रत्न और आभूषण को ब्रिटेन के बाजार में निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी. वहीं, ब्रिटेन स्कॉच व्हिस्की और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में शुल्क में छूट की मांग कर रहा है.
कितना है व्यापार?
भारत और ब्रिटेन (UK) के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2020-21 में 13.2 अरब डॉलर (1 लाख करोड़ रुपए) की तुलना में 2021-22 में बढ़कर 17.5 अरब डॉलर (1 लाख 30 हजार करोड़) हो गया. 2021-22 में भारत का निर्यात 10.5 अरब डॉलर था, जबकि आयात 7 अरब डॉलर था.
भारत-ब्रिटेन साझेदारी क्यों जरूरी?
ब्रिटेन के लिये भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बाजार हिस्सेदारी और रक्षा दोनों ही विषयों में एक प्रमुख रणनीतिक भागीदार है जो वर्ष 2015 में भारत एवं यूके के बीच ‘रक्षा एवं अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा साझेदारी’ (Defence and International Security Partnership) समझौते के द्वारा भी देखा जा सकता है. ब्रिटेन के लिये भारत के साथ सफलतापूर्वक मुक्त व्यापार समझौते का संपन्न होना ‘ग्लोबल ब्रिटेन’ की महत्त्वाकांक्षाओं को बढ़ावा देगा क्योंकि दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल यूके ‘ब्रेक्जिट’ (Brexit) के बाद से यूरोप से अलग भी अपने बाजारों के विस्तार के लिए नई जगह तलाश रहा है.
इसके अलावा ब्रिटेन एक महत्त्वपूर्ण वैश्विक ताकत के रूप में वैश्विक मंच पर अपनी जगह को मजबूत करने के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र की विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में अवसरों का लाभ उठाने की कोशिश कर रहा है. जिसके चलते वो भारत के साथ अच्छे द्विपक्षीय संबंधों के जरिए इस लक्ष्य को बेहतर ढंग से हासिल कर सकता है.
भारत के लिये यूके हिंद प्रशांत में एक क्षेत्रीय शक्ति है क्योंकि इसके पास ओमान, सिंगापुर, बहरीन, केन्या और ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र में नौसैनिक सुविधाएं हैं. इसके अलावा यूके से भारत ने मत्स्य पालन, फार्मा और कृषि उत्पादों के लिये बाजार तक आसान पहुंच के साथ-साथ निर्यात के लिये शुल्क रियायत की भी मांग की है.
दोनों देशों के बीच प्रमुख द्विपक्षीय मुद्दे?
भारतीय यूके से आर्थिक अपराधियों के प्रत्यर्पण को लेकर लगातार बात करता रहता है. जो आर्थिक भगोड़े वर्तमान में ब्रिटेन की शरण में हैं और अपने लाभ के लिये कानूनी प्रणाली का उपयोग कर रहे हैं को लेकर भारत यूके से उनके प्रत्यर्पण को लेकर लगातार मांग कर रहा है.
भगोड़ों के खिलाफ भारत में दर्ज आपराधिक मामले, जिनमें प्रत्यर्पण को लेकर भारत सख्ती से अपनी पैरवी कर रहा है में मामला दर्ज होने के बावजूद विजय माल्या, नीरव मोदी और अन्य अपराधियों ने लंबे समय से ब्रिटिश व्यवस्था की शरण ली हुई है. इसके अलावा भारत और यूके के बीच एक अन्य चिंता ब्रिटेन द्वारा वैश्विक शक्ति के रूप में भारत के विकास को अस्वीकार करना है, विशेष खासकर मीडिया में.