उत्तराखंड में आज रिस्पना नदी के किनारे 2.50 लाख पौधों का रोपण कर एक कीर्तिमान स्थापित किया गया। परमार्थ निकेतन ने रिस्पना नदी को पुनर्जीवित करने का अभियान शुरु किया है। इस अभियान के तहत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने केरवां गांव में पौधा रोपण कर अभियान की शुरुआत की। इस अभियान का नाम रिस्पना से ऋषिपर्णा मिशन दिया गया है।
सबसे बड़ी बात ये है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खुद परमार्थ निकेतन के साथ रिस्पना नदी को पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया है। रविवार को पौधा रोपण कार्यक्रम के शुरुआत के मौके पर विभिन्न धर्मों के लोग शामिल हुए। इसके साथ हां विभिन्न शिक्षण संस्थाओं और स्वंयसेवी संस्थाओं ने भी बढ़ चढ़ कर इसमें हिस्सा लिया। किसी नदी को पुनर्जीवित करने का यह अनूठा अभियान है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हमने एक छोटा सा संकल्प लिया था कि हम रिस्पना को पुनर्जीवित करने का प्रयास करेंगे और मुझे यह देखकर बेहद खुशी है कि भगीरथ की इस धरती पर हमारी नदियों को बचाने के लिए वास्तव में आमजन द्वारा भगीरथ प्रयास होने लगे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब ब्रिटेन के लोग एक भगीरथ प्रयास से टेम्स जैसी नदी को साफ कर सकते हैं, तो क्या उत्तराखंड के लोग व्यापक जन अभियान से रिस्पना की सूरत नहीं बदल सकते? मुझे पूरा विश्वास है, आपके सहयोग, आपकी ऊर्जा और इस पुण्य भावना के साथ हम रिस्पना और कोसी का उत्थान करके ब्रिटेन के लोगों की तरह दुनिया के लिए एक आदर्श उदाहरण बनेंगे।
रिस्पना को बचाने के लिए आज देहरादून और देहरादून से बाहर के बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग, युवा, समाज का हर वर्ग उत्साहित है। गंगा की इस धरती पर हजारों भगीरथ आज यहां एकत्र हुए हैं। सामूहिक प्रयासों से रिस्पना और कोसी को पुनर्जीवित करके हम उत्तराखंड का नाम स्वर्णाक्षरों में दर्ज करवा सकते हैं।
इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद सरस्वती, विधायक गणेश जोशी, विनोद चमोली, मुन्ना सिंह चैहान, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह सहित अन्य जनप्रतिनिधि व अधिकारी उपस्थित थे।
कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए 416 स्कूलों के बच्चों को 1.5 लाख पौधे वितरित किए गये थे। बच्चों को पौधा लगाकर सेल्फी लेने और दिए गए कार्ड पर दर्ज करने को कहा गया है। सेल्फी और कार्ड अपने स्कूल में जमा करेंगे जहा से वह जिला प्रशासनके पास आएगा। जिला प्रशासन से मुहर लगाकर सत्यापित करने के बाद कार्ड वापस छात्र या छात्रा को दे दिया जाएगा और इसके साथ ई-सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा।