Chacha Nehru: पूरा देश आज देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिवस मना रहा है। बात के आधारभूत ढांचे को मजबूत करने की हो या सामाजिक नीतियों को लागू करने की।स्वतंत्र और विकासशील भारत में सभी क्षेत्र उनके लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहे।बावजूद इसके उन्होंने सदैव मजबूत राष्ट्र की स्थापना को ध्यान में रखते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया।
खासतौर से शिक्षा, कृषि, उद्योग जगत आदि को लेकर उनके किए गए काम आज भी याद किए जाते हैं।पंडित जवाहरलाल नेहरू और बच्चों से बहुत स्नेह किया करते थे, यही वजह है कि उनके जन्मदिन को संपूर्ण देश बालदिवस के रूप में मनाता है। उनके फैसले और उपलब्धियों को याद करता है। देश में आईआईटी से लेकर एम्स और उच्च शिक्षा संस्थानों के पैरोकार रहे नेहरू जी के शिक्षा जगत पर किए गए कार्यों पर डालते हैं नजर।
Chacha Nehru: जानिए आईआईटी से लेकर एम्स बनने की कहानी
Chacha Nehru: नेहरू जी ने भारत में कई आईआईटी संस्थानों की स्थापना में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उन्होंने में बॉम्बे में आईआईटी की स्थापना में सोवियत संघ की सहायता ली। वर्ष 1958 में आईआईटी बॉम्बे की स्थापना की गई। आईआईटी बॉम्बे के बाद अमेरिका की सहायता से 1959 में कानपुर में एक और आईआईटी संस्थान की स्थापना हुई।
एम्स की स्थापना कोलकता में की जानी थी लेकिन पश्चिम बंगाल के तत्कालीन सीएम बिधान चंद्र रॉय द्वारा प्रपोजल को मंजूरी न देने के कारण इस संस्थान को दिल्ली में बनाया गया। एम्स दिल्ली की संस्थान 1956 में की गई थी।
इस के बाद उन्होंने आईआईएम कोलकता और एम्स की स्थापना में एक अहम भूमिका निभाई। उन्होंने 1961 में भारत को प्रबंधन के क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण संस्थान दिया।उसी साल उन्होंने अपने पिता के नाम पर मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान संस्थान की आधारशिला रखी जिसे एमएनएनआईटी भी कहा जाता है।
Chacha Nehru: नागरिकों को भाग्य रेखा तक पहुंचाने से पहले आराम संभव नहीं
Chacha Nehru: नेहरू ने कहा था कि आराम हराम है। यानी भविष्य को लेकर हमारे लक्ष्य बेहद कठिन हैं। ऐसे में जब तक हम अपनी प्रतिज्ञा पूरी नहीं कर लेते भारत के लोगों को उनकी भाग्य रेखा तक नहीं पहुंचा देते हैं। तब तक हम में से कोई आराम नहीं कर सकता है।
एक महान देश का नागरिक होने के चलते हमें उच्च मानकों पर खरा उतरना है। हमारी वर्तमान या भविष्य की पीढ़ियां भले ही किसी भी धर्म से संबंध रखती हों, लेकिन उनके अधिकार, विशेषाधिकार और दायित्व एक समान होने चाहिए। नेहरू जी ने कहा था कि हम सांप्रदायिकता या संकीर्णता को प्रोत्साहित नहीं कर सकते हैं। कोई भी देश तब तक महान नहीं हो सकता है, जब तक वहां के लोगों की सोच या कर्म में संकीर्णता हो।
Chacha Nehru: कतार में खड़े आखिरी पीड़ित के आंसू पोंछने तक जारी रखें प्रयास
Chacha Nehru: नेहरू जी दूरदर्शी थे। उन्होंने कहा था कि देश के लोगों का भविष्य अब आराम करने या चैन से बैठने का नहीं है, बल्कि सतत प्रयास से बारंबार की गई प्रतिज्ञा को पूरा करने का है। भारत की सेवा का मूल अर्थ लाखों पीड़ितों की सेवा करना है। सेवा का अर्थ गरीबी, अज्ञानता, बीमारी और असमानता को खत्म करना है। हमारी पीढ़ी के सबसे महानतम व्यक्ति की महत्वाकांक्षा हर आंख के आखिरी आंसू पोछने की है।
संभव है कि यह कार्य हमारे लिए मुमकिन न हो, लेकिन जब तक कतार में खड़े आखिरी पीड़ित के आंसू खत्म नहीं हो जाते, तब तक हमारा यह प्रयास जारी रहना चाहिए। हमें अपने इन सपनों को पूरा करने के लिए न केवल कड़ी मेहनत करनी होगी, बल्कि लगातार काम करना होगा।
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