अक्सर ऐसा देखा जाता है कि जब भी सिक्योरिटी फोर्स के जवान आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन के लिए निकलते हैं तो आतंकियों को बचाने के लिए कई इलाकों में जबरदस्त पत्थरबाजी की जाती है। इन पत्थरबाजों के बीच में महिला पत्थरबाज भी शामिल हो जाती हैं और ऐसे में सिक्योरिटी फोर्स के लिए इन महिला पत्थरबाजों को डील करना हमेशा ही मुश्किल होता है। लेकिन अब ऐसी स्थिति में मोर्चा संभालने के लिए ये महिला कमांडो तैयार हैं ।
सीआरपीएफ की इन कमांडोंज को उग्र भीड़ और पथराव करनेवालों से निपटने के लिए विशेष ट्रेनिंग दी गई है आतंकवादियों के खिलाफ किसी भी ऑपरशन के लिए ये बिल्कुल तैयार हैं । सीआरपीएफ के पुरुष जवानों की तरह ये महिला कमांडों भी शारीरिक रक्षा करने वाले पूर्ण पोशाक, हेलमेट, डंडे, आंसू गैस शॉटगन गोले के साथ ही मिर्च से भरे ग्रेनेड और प्लास्टिक बुलेट से लैस होंगी ।
सीआरपीएफ के इंस्पेक्टर जनरल (ऑपरेशन) जुल्फिकार हसन ने कहा- “जम्मू एवं कश्मीर में सुरक्षा बलों के लिए पत्थरबाजी की घटनाएं बार-बार चुनौती बन रही हैं। यह आतंकवाद से ज्यादा चुनौतीपूर्ण है।” हसन के मुताबिक जैसा कि युवा आमतौर पर समूह बनाते हैं और पथराव की घटना में भाग लेते हैं, तो महिलाओं की संख्या भी पत्थरबाजी में बढ़ रही है।” हसन ने कहा,”हम एक विशेष सीआरपीएफ महिला कमांडो इकाई शुरू करने की प्रक्रिया में हैं, जो पत्थरबाजी करने वाली महिलाओं के साथ ही पुरुषों से भी निपटेंगी। इसके लिए यहां 800 से ज्यादा महिला कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।”
ये महिला कमांडो भी अपनी नई चुनौती के लिए तैयार हैं। एक महिला कमांडो ने कहा- हम हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं। हमें शुरु से ऐसी ट्रेनिंग दी जाती है, लेकिन यहां पत्थरबाजों से निपटने के लिए महीने भर से अधिक की ट्रेनिंग दी गई है ।
कश्मीर घाटी में महिलाकर्मियों की यह पहली टीम है। कुछ साल पहले सीआरपीएफ की महिलाकर्मियों को छत्तीसगढ़ एवं झारखंड के नक्सल विरोधी अभियानों में शामिल किया गया था। माना जा रहा है कि यह पहल इसलिए की गई है, क्योंकि पुरुष कमांडो महिला पत्थरबाजों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं, तो मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के आलोचना का सामना करना पड़ता है।